देवकर/कोदवा:- ज़िले के ग्रामीण अंचल में इन दिनों शासन- प्रशासन के बगैर अनुमति व मानक नियम मापदंड के गुड़ की अवैध फैक्टरियों के संचालन की जानकारी मिल रही है।जिससे लॉकडाउन के प्रोटोकॉल का अवहेलना तो हो रहा है।इसके अमानक चिमनियों से निकल रहे ख़तरनाक व ज़हरीले धुंए से वातावरण भी दूषित हो रहा है।लिहाजा इस सम्बंध में शासन-प्रशासन के रवैये को लेकर आम नागरिकों में नाराजगी व असन्तुष्टी साफ तौर पर झलकने लगी है।ग्रामीण क्षेत्र के रहवासियों का कहना है कि एक तरफ प्रशासन किसानों द्वारा पराली जलाने को पर्यावरण के खिलाफ मानकर कड़े प्रतिबंध लगाने की बात करती है।किसानों पर कार्यवाही करती है।वही अमानक चिमनियों के सहारे दर्जनों गुड़ फैक्टरियों से रोजाना जहरीला धुंआ साफ वायु में छोड़कर दूषित किया जा रहा है।इसके अलावा शासन-प्रशासन वर्तमान में कोरोना संक्रमण के वजह से ग़ैर जरूरी व गैर आपातकालीन सारी गतिविधियां बन्द कर लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करने की अपील करते है उल्लंघन पर आदमियों के चालान काटते है।वही गुड़ फैक्ट्रियों के अवैध रूप से संचालन और आवागमन सहित समस्त गतिविधियों पर आंख मूंदकर आम नागरिकों के साथ ऐसे दोहरी नीतियों को बढ़ावा देते है जो कि काफी दुर्भाग्यजनक है।एक तरफ ग्रामीण लोग शासन-प्रशासन के आदेश का परिपालन करते है वही इस तरह गुड़ फैक्टरियों के संचालकों द्वारा पर्यावरण को प्रदूषित कर कोविड व लॉकडाउन प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जा रही है।जिस पर जिम्मेदार अफसर भी मेहरबान नज़र आ रहे है।वर्तमान में ऐसे कई गुड़ फैक्टरियां क्षेत्र में संचालन में है,जिनके कार्यप्रणाली पर ढेरो सवाल सन्कट के इस दौर में उठ रहे है।जिस पर जिम्मेदार प्रशासन व उसके आला अफसरों को ध्यान देने की जरुरत है।