गरियाबंद -फुटबॉल टीम के कोच आरिफ़ मेमन (52) साल की उम्र में। निधन। उन्होंने सोमवार को रायपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह अपने पीछे दो बच्चे व पत्नी सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
उनकी असामयिक मौत की खबर सुन गरियाबंद के खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई। विनयी स्वभाव के अछे खिलाड़ी के साथ में मिलनसाए व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए थे वह फुटबॉल खिलाड़ी के अलावा कोच के तौर पर भी वह सफल रहे। गरियाबंद फुटबॉल टीम उनके नेतृत्व में कई बार चैंपियन का सेहरा अपने सिर बांधा। उन्होंने रेफरी के रूप में कई खेलो का भी नेतृत्व किया। गरियाबंद ज़िले में फुटबॉल के विकास में उनके योगदान को कतई भुलाया नहीं जा सकाता ,वे छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन संघ के ज़िलाध्यक्ष भी थे जिन्होंने हर समय अपने संघ को माँग को ले कर दमदारी से प्रशंसान में समक्ष रखे इसके साथ ही वे । खेल जगत में अपनी अलग पहचान बनाए हुए थे जिन्होंने प्रतिनिधित्व करते हुए अंतरराष्ट्रीय खेल खेलने के लिए दुबई गए और अपनी हुनर दिखाते हुए प्रदेस और ज़िले का नाम रौशन किए ,फ़ुटबाल से उनका लगाव जगजाहिर था। उन्होंने गरियाबंद में फुटबॉल के विकास के लिए बहुत ज्य्दा मेहनत किया । उनके कई अनगिनत खिलाड़ीयो ने नेशनल लेवल पर गरियाबंद की पहचान बनाई, वे कुछ दिनो से बीमारी के चलते रायपुर के निजी अस्पताल में उपचार के दौरान ज़िंदगी की जंग हार गए और अंतिम साँसे ली,
फ़ुटबाल के साथ सभी खेलो में उनका सहयोग रहा है ,वे हमेशा हर खेल के हर वर्ग के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाने के प्रयास करते थे।
नोडल अधिकारी – संजू साहू
ने कहा आरिफ़ भाई का जाना हम सबके लिए एक अपूरणीय क्षति है उनकी मौत की खबर सुन हतप्रभ हूं। मैं कभी नहीं सोचा था कि वह यूं चले जाएंगे। हमदोनों जब भी मिलते थे, फुटबॉल के विकास पर ही चर्चा होती थी।पिछले तीन दशक तक हमने सुख दुख में एक दूसरे के साथ खड़े रहे।आज वे चले गए तो खुद को अकेला महसूस कर रहा हूं।
वालीबाल कोच – सूरज महादिक
शोक संवेदना प्रगट करते हुए कहा, हमने कभी नहीं सोचा था कि वे इस तरह दुनिया को अलविदा कर देंगे। आज भी उनका मुस्कुराता चेहरा नजरों से हट नहीं रहा है।गरियाबंद फ़ुटबाल टीम ने ना जाने उनके मार्गदर्शन ने ना जाने कितनी ट्राफ़ीया अपने नाम किए , वह हर समय आगे बढ़कर जिम्मेवारियों का निर्वाह करते थे। उनके जाने से गरियाबंद फुटबॉल में जो रिक्त स्थान पैदा हुआ है, उसे भरा नहीं जा सकता।
आनंद झा कोच-
ऐसे शानदार खिलाड़ी और अच्छे कोच का जाना हम सबके लिए के गहरा शोक का विषय है स्वर्गीय मेमन खेल के साथ साथ हर समाज के हर कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करते थे,
ए चौबे -स्पोर्ट्स आफ़िसर
-कुछ दिन पहले ही उनसे मिला था। वह स्वस्थ नजर आ रहे थे। वह गरियाबंद फुटबॉल के पर्याय थे। आरीफ़ भाई ने हमेशा खिलाड़ियों के हित के लिए अपना 100% दिया है ,उनकी कमी हमेशा खलेगी।
प्रदेश महामंत्री और गरियाबंद जिला प्रभारी हरमेश चावड़ा
ने कहा आरीफ़ भाई का खेल और खिलाड़ियों के प्रति लगवा देखते बनता था हमारे बीच से से बेहतरीन खिलाड़ी और कोच का जाना बेहद दुःखद है, एक तरह से कहें तो सदी में ऐसा खिलाड़ी एक ही बार पैदा होता है। फुटबॉल के विकास में उनके योगदान को कतई भुलाया नहीं जा सका।
राष्ट्रीय खिलाड़ी संदीप सरकार
ने कहाँ – उनके नेतृत्व में हमने कई मैच जीते वे मेरे कोच ही नहि आरीफ़ भाई मेरे लिए पितातुल्य थे। उनका इस तरह जाना हम सभी को झकझोर दिया।
ब्लाक उपाध्यक्ष सलीम मेमन-
ने कहा-आरिफ़ मेमन जी हामरे साथी तो थे ही
इसके अलावा उनमे अच्छा नेतृत्व छमता भी था जिसमें चलते हमें अपनी माँग और समस्या से कभी परेशानी नहि हुई उनका जाना बेहद दुखद घटना है,