रायपुर। कोरोना संक्रमितों के फेफड़ों का इंफेक्शन कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं हाईडोज स्टेरॉयड से राजधानी रायपुर के एम्स अस्पताल में ब्लैक फंगस ( म्यूकरमायकोसिस) के मामले सामने आ रहे हैं।
गौरतलब है की रायपुर एम्स के कोरोना से ठीक हो चुके 15 मरीजों की आंखाें में ब्लैक फंगस के लक्षण मिल रहे है।प्रारंभिक जांच में इस बात की जानकारी सामने आयी है कि रायपुर एम्स में भर्ती 15 ब्लैक फंगल के मरीजों में 8 मरीजों की आंखों में फंगल इंफेक्शन है, जबकि बाकी मरीजों के अन्य पार्टों में संक्रमण है।
पूरे प्रदेश में कोरोना के बाद ब्लैंक फंगल का शिकार हुए मरीजों की संख्या करीब 50 की बतायी जा रही है, जो अलग-अलग जिलों में है। हालांकि पूरी तरह से उन मरीजों की जानकारी सामने नहीं आ पायी है। हालांकि रायपुर एम्स में करीब 15 मरीजों के ब्लैक संक्रमण से प्रभावित होने की स्पष्ट जानकारी आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल तेज हो गयी है।
जानिए क्या होता है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस घातक इंफेक्शन होता है कि जो कि हमारे शरीर में ब्लड सप्लाई को प्रभावित करता है। जहां पर यह ब्लैक फंगस हो जाता है वहां से आगे की ब्लड सप्लाई रुक जाती है और एक प्रकार से यह जितनी दूरी तक फैल चुका होता है वहां के नर्व सिस्टम में ब्लड की सप्लाई को डैमेज कर देता है। सर्जरी के बाद ही उतने हिस्से से ब्लैक फंगस हटाकर मरीज को बचाया जाता है। इस समय कोरोना वाले मरीजों में नाक में मरीजों को ब्लैक फंगस हो रहा है।
ये हैं ब्लैक फंगस के लक्षण
नेजल ड्राइनेस
नाक बंद होना
नाक से अजीब से कलर या काले खून का डिस्चार्ज होना
आंख खोलने में दिक्कत होना
अचानक से दोनों आंख या एक आंख से कम दिखाई देना, आंख में सूजन होना।
ऐसे रहें अलर्ट
कोरोना होने पर स्टोरॉयड की डोज अपने मन से या किसी के बताए अनुसार न लें। डॉक्टर की सलाह के बाद ही तय मात्रा में स्टोरॉयड का इस्तेमाल करें।
डायबिटीज के मरीज हैं तो कोरोना रिकवरी के बाद कई महीने तक अलर्ट रहने की जरूरत है।
जरा सा भी लक्षण होने पर सीधे डॉक्टर के पास जाएं। नेजल एंडोस्कॉपी या जरूरत के अनुसार नेजल बायोप्सी से इसका पता लगाया जाता है।
जितनी जल्दी बीमारी पकड़ में आएगी उतनी ही बेहतर रिकवरी होगी।