रायपुर। केंद्रीय जेलों में कोरोना का कहर देखने को मिला है. पिछले दिनों कई कैदी संक्रमित मिले थे. जिसके कारण अब राज्य में कैदी पैरोल पर छोड़े जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार राज्य के हाई पावर कमेटी पर छोड़ दिया था. अब इस मामले में छत्तीसगढ़ के स्टेट लिगल ऑथार्टी कमेटी ने जेल अधीक्षकों को एक पत्र भेजा है. सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार, एक आदेश जारी किया गया है।
हाईकोर्ट कोर्ट के अधिवक्ता अच्युत तिवारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशा अनुसार, हाई पावर कमेटी ने यह निर्णय लिया है कि जिन कैदियों को पिछले वर्ष कोरोना का लाभ देते हुए पैरोल एवं अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया, उन सभी को इस साल भी 90 दिन के लिए पैरोल एवं अंतरिम जमानत दिया जाए।
डीएलएसए के सेक्रेटरी बृजेश राय ने बताया कि ऐसे कैदी जिन्हें अधिकतम सात वर्ष की सजा हुई है या हो सकती है, उन सभी को 90 दिन के लिए पैरोल एवं अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। ऐसे व्यक्ति जो 60 वर्ष के अधिक उम्र के हैं और उनकी अधिकतम सजा 10 साल की हो सकती है, वह पैरोल एवं अंतरिम जमानत का लाभ ले सकते हैं।
कैसे मिलेगा लाभ
वकील ने बताया कि ऐसे विचारधीन कैदियो की पहचान संबंधित जिला विधिक सेवक प्राधिकरण स्वयं करेगा या फिर ऐसे कैदी अपने अधिवक्ता के माध्यम से जेल सुप्रीमटेंडेंड या संबंधित न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर स्वयं लाभ ले सकते हैं।
इन कैदियों को नहीं मिलेगा लाभ
ऐसे कैदी जिन्होंने एडीपीएस एक्ट, पास्को एक्ट, जिन्होने महिलाओं के विरुद्ध कोई अपराध किया हो, इनको पैरोल या अंतरिम जमानत का लाभ नहीं दिया जाएगा।