नई दिल्ली। भारत में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले देश और दुनिया के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। यही वजह है कि इस वक्त पूरी दुनिया का ध्यान भारत की तरफ है। दूसरी लहर में भारत में एक ही दिन में 4 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। पहली लहर के दौरान 16 सितंबर 2020 को देश में 97 हजार से अधिक मामले सामने आए थे।
दूसरी लहर के पीछे भारत में फैले और पाए गए कोरोना वायरस के वैरिएंट बी1167 को बड़ा कारण माना जा रहा है। इसका सबसे अधिक असर फैंफड़ों पर पड़ता है। इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत और ऑक्सीजन की कमी जैसी परेशानियां पैदा होती हैं जो मरीज की जान जाने का बड़ा कारण बनती हैं। हाल के कुछ दिनों में इसकी वजह से देश के लगभग हर राज्य में ऑक्सीजन की कमी देखी गई और अस्पतालों के बाहर दिल दहला देने वाला नजारा सभी ने देखा है।
भारत फिलहाल इस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है लेकिन अभी से ही इसकी तीसरी लहर आने की आशंका भी जताई जाने लगी है। ज्यादातर जानकार इस आशंका से इनकार नहीं कर रहे हैं कि भारत में तीसरी लहर आएगी। अधिकतर जानकारों का कहना है कि भारत में कोरोना महामारी की तीसरी लहर इस वर्ष सितंबर के बाद आ सकती है। सफदरजंग अस्पताल में कम्यूनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख प्रोफेसर और डॉक्टर जुगल किशोर का कहना है कि भारत में महामारी की जिस तीसरी लहर के आने की आशंका जताई जा रही है वो मुख्य रूप से तीन बातों पर निर्भर करती है।
प्रोफेसर डॉक्टर जुगल किशोर का कहना है कि जिस तीसरी लहर की आशंका से अभी देश सहमा हुआ है उसको समय रहते रोका जा सकता है। इसके लिए हमें उन परिस्थितियों और कारकों पर ध्यान देगा। जिस तरह से बच्चों के तीसरी लहर की चपेट में आने की आशंका जताई जा रही है यदि उनको समय रहते वैक्सीन लगा दी जाती है तो इससे बचा जा सकता है।
दूसरा ये भी है कि हम कोविड की रोकथाम को लेकर बनाए गए नियमों का इमानदारी के साथ पालन करें। मौजूदा समय में ये जरूरी है कि हम लोग घरों में भी मास्क पहन कर रहें। यदि किसी को जरा भी ऐसा लगता है कि उसकी तबियत ठीक नहीं है तो वो खुद को एक कमरे में आइसोलेट कर ले। साफ सफाई का पूरा ध्यान रखने से हम इस लहर की आशंका को खत्म कर सकते हैं।