भारत में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए भारत बायोटेक नेजल वैक्सीन तैयार कर रहा है। इस वैक्सीन के मार्केट में आते ही कोरोना के केसेस में भारी कमी देखने को मिलेगी। क्योंकि कोरोना वायरस म्यूकोसा के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। लिहाजा यदि कोई भी मरीज अपनी नाक से इस वैक्सीन की डोज ले तो वो सीधा वायरस पर अटैक करेगी।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल के अनुसार, नेजल वैक्सीन अगर सफल हो जाती है तो यह हमारे लिए एक ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है, क्योंकि इसे आप खुद भी ले सकते हैं।
वहीं भारत बॉयोटेक के एम.डी. कृष्णा एल्ला ने कहा कि इंजेक्टेबल टीके केवल निचले फेफड़ों तक की रक्षा करते हैं, ऊपरी फेफड़े और नाक की रक्षा नहीं की जाती है। वह कहते हैं, ‘यदि आप नेजल वैक्सीन की एक खुराक भी लेते हैं तो आप संक्रमण को रोक सकते हैं।
नेजल वैक्सीन के फायदे
1. इंजेक्शन से वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
2. नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्यून तैयार होने से सांस से संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा।
3. इंजेक्शन से वैक्सीन नहीं लगेगी तो हेल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी।
4. इसका उत्पादन आसान होगा, जिससे वैक्सीन वेस्टेज की संभावना घटेगी।
5. इसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकेंगे, स्टोरेज की समस्या कम होगी।
कैसे नेजल वैक्सीन दूसरी इंजेक्शन वाली वैक्सीन से अलग है?
अभी तक 175 लोगों को दी गई नेजल वैक्सीन
अप्रैल में ही हैदराबाद स्थित भारत बॉयोटेक कंपनी की इंट्रानेजल वैक्सीन, BBV154 के पहले चरण के परीक्षण की मंजूरी मिल चुकी है। यह मंजूरी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई है। क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री के अनुसार, 175 लोगों को नेजल वैक्सीन दी गई है। इन्हें तीन ग्रुप में बांटा गया है। पहले और दूसरे ग्रुप में 70 वालंटियर रखे गए हैं और तीसरे में 35 वालंटियर रखे गए हैं। पहले ग्रुप को सिंगल डोज वैक्सीन पहली विजिट पर दी जाएगी और प्लेसिबो 28वें दिन पर। वहीं दूसरे ग्रुप को दो डोज, पहले दिन और 28वें दिन इंट्रानेजल वैक्सीन की दी जाएगी। वहीं, तीसरे ग्रुप को पहले दिन और 28वें दिन या तो प्लेसिबो दिया जाएगा या फिर इंट्रानेजल वैक्सीन ही दी जाएगी।
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भारत में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए भारत बायोटेक नेजल वैक्सीन तैयार कर रहा है। इस वैक्सीन के मार्केट में आते ही कोरोना के केसेस में भारी कमी देखने को मिलेगी। क्योंकि कोरोना वायरस म्यूकोसा के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। लिहाजा यदि कोई भी मरीज अपनी नाक से इस वैक्सीन की डोज ले तो वो सीधा वायरस पर अटैक करेगी।नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल के अनुसार, नेजल वैक्सीन अगर सफल हो जाती है तो यह हमारे लिए एक ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है, क्योंकि इसे आप खुद भी ले सकते हैं।वहीं भारत बॉयोटेक के एम.डी. कृष्णा एल्ला ने कहा कि इंजेक्टेबल टीके केवल निचले फेफड़ों तक की रक्षा करते हैं, ऊपरी फेफड़े और नाक की रक्षा नहीं की जाती है। वह कहते हैं, ‘यदि आप नेजल वैक्सीन की एक खुराक भी लेते हैं तो आप संक्रमण को रोक सकते हैं।नेजल वैक्सीन के फायदे1. इंजेक्शन से वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।2. नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्यून तैयार होने से सांस से संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा।3. इंजेक्शन से वैक्सीन नहीं लगेगी तो हेल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी।4. इसका उत्पादन आसान होगा, जिससे वैक्सीन वेस्टेज की संभावना घटेगी।5. इसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकेंगे, स्टोरेज की समस्या कम होगी।कैसे नेजल वैक्सीन दूसरी इंजेक्शन वाली वैक्सीन से अलग है?अभी तक 175 लोगों को दी गई नेजल वैक्सीनअप्रैल में ही हैदराबाद स्थित भारत बॉयोटेक कंपनी की इंट्रानेजल वैक्सीन, BBV154 के पहले चरण के परीक्षण की मंजूरी मिल चुकी है। यह मंजूरी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई है। क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री के अनुसार, 175 लोगों को नेजल वैक्सीन दी गई है। इन्हें तीन ग्रुप में बांटा गया है। पहले और दूसरे ग्रुप में 70 वालंटियर रखे गए हैं और तीसरे में 35 वालंटियर रखे गए हैं। पहले ग्रुप को सिंगल डोज वैक्सीन पहली विजिट पर दी जाएगी और प्लेसिबो 28वें दिन पर। वहीं दूसरे ग्रुप को दो डोज, पहले दिन और 28वें दिन इंट्रानेजल वैक्सीन की दी जाएगी। वहीं, तीसरे ग्रुप को पहले दिन और 28वें दिन या तो प्लेसिबो दिया जाएगा या फिर इंट्रानेजल वैक्सीन ही दी जाएगी।ALSO READ- COVID NEWS: कंपनी का बड़ा दावा, 99 फीसदी तक खत्म कर देगा कोरोना वायरसछत्तीसगढ़ की खबरें देखने के लिए क्लिक करें