बीजिंगः इजराइल और फिलीस्तीनियों के बीच खूनी संघर्ष को लेकर दुनिया भर के देशों से तीखी प्रतिक्रिया आ रही है । दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की सधी हुई प्रतिक्रिया के बाद शुक्रवार को चीन ने इस मामले में दखलअंदाजी शुरू कर दी है। चीन ने इजराइल को लेकर अमेरिका पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि खुद को मानवाधिकारों का संरक्षक और ‘मुसलमानों का शुभचिंतक’ बताने वाले अमेरिका ने इजराइल के साथ टकराव में मारे जा रहे फिलिस्तीनियों (मुसलमानों) से आँखें फेर ली हैं। चीन ने इजराइल की खिलाफत करते हुए कहा कि फिलीस्तीनियों को किस तरह युद्ध और आपदा की स्थिति में धकेल दिया गया है, वो अमेरिका को दिखाई नहीं दे रहा।
चीन ने कहा है कि अमेरिका को सिर्फ़ शिनजियांग (चीन) के वीगर मुसलमानों की चिंता होती है लेकिन फिलीस्तीनी मुसलमानों को लेकर वो खामोश है।
दरअसलइजराइल- फिलीस्तीनी संघर्ष को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की जो बैठक 14 मई को होनी थी, उसे अमेरिका द्वारा अड़चन डालने की वजह से 16 मई के लिए टाल दिया गया ।
शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआं चनयिंग से जब पूछा गया कि अमेरिका ने ऐसा क्यों किया, तो चनयिंग ने कहा, “चीन इजराइल-फिलीस्तीनी संघर्ष की गंभीरता को समझता है। हम स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं और लगातार बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित हैं। चीन की प्रवक्ता ने कहा कि हम मध्यस्थता की तमाम कोशिशें कर रहे हैं।हमने इसे लेकर दो आपातकालीन बैठकें बुलाईं ताकि हिंसक संघर्ष को रोका जा सके।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अधिकांश सदस्य देश भी चाहते हैं कि जंग को आगे बढ़ने से रोका जाए लेकिन अमेरिका इसके विपरीत है। उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रेस वक्तव्य जारी करने से रोका। अमेरिका एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भावना के खिलाफ खड़ा है। अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है? इस सवाल का जवाब हम भी जानना चाहते हैं और शायद अमेरिका ही इसका सही जवाब दे सकता है। “