नई दिल्ली। पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा एवेन्यू रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर रोक लगाने वाली याचिका पर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई की। दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
बता दें कि सुनवाई के दौरान भारत सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि यह याचिका किसी न किसी की कमी को छिपाने के लिए डाली गई है। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि उनके तर्क और बहस अप्रैल की अधिसूचना के आधार पर होंगे।
तुषार मेहता के बाद शापूरजी पालोनजी ग्रुप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को निलंबित करने की मांग करने वाली जनहित याचिका का विरोध किया। उनका कहना है कि यह कोई वास्तविक याचिका नहीं है।
वहीं याचिका डालने वाले वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को सेंट्रल विस्टा नहीं कहना चाहिए बल्कि इसे अब ‘मौत का केंद्रीय किला’ कहा जाएगा। उन्होंने अदालत से इसपर जल्द से जल्द रोक लगाने की मांग की है।
बता दें कि दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया था कि कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके बावजूद सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम चल रहा है, ऐसे में मजदूरों और अन्य लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। जितनी जल्दी हो सके इस निर्माण कार्य को रोक दिया जाए।
जानिए क्या है सेंट्रल विस्टा
बता दें कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत एक नए संसद भवन, एक नए आवासीय परिसर के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति के आवास के साथ-साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है।