भिलाई। छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. दुर्ग जिले के भिलाई में ब्लैक फंगस से दूसरी मौत हो गई है. कोरोना संक्रमण के बाद पिछले 20 दिन से अस्पताल में भर्ती थी. आज उसने दम तोड़ दिया. छत्तीसगढ़ में अब तक ब्लैक फंगस से 4 लोगों की जान जा चुकी है।
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भिलाई। छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. दुर्ग जिले के भिलाई में ब्लैक फंगस से दूसरी मौत हो गई है. कोरोना संक्रमण के बाद पिछले 20 दिन से अस्पताल में भर्ती थी. आज उसने दम तोड़ दिया. छत्तीसगढ़ में अब तक ब्लैक फंगस से 4 लोगों की जान जा चुकी है।मिली जानकारी के मुताबिक मृतक महिला का नाम माधुरी रत्नानी (56 वर्ष) है, जो कि नेहरू नगर निवासी मेडिकल व्यवसायी सुरेश रत्नानी की पत्नी थी. कोरोना संक्रमण के बाद महिला का 20 दिन से रायपुर के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था. जहां वो वेंटिलेटर पर थी. इलाज के दौरान माधुरी को ब्लैक फंगस होने का पता चला. जिसके बाद आज उसकी मौत हो गई. इससे पहले 11 मई को भिलाई के सेक्टर- 1 सी मार्केट निवासी 48 वर्षीय व्यवसायी की ब्लैक फंगस से पहली मौत हुई थी।इन जिलों में हो चुकी है मौतबता दें कि इससे पहले ब्लैक फंगस से महासमुंद-कोरिया में 1-1 मरीज और भिलाई में अब तक 2 मरीज की मौत हो चुकी है. इस तरह छत्तीसगढ़ में अब तक 4 लोगों ने ब्लैक फंगस की वजह से जान गंवाई है. प्रदेश भर में अभी तक ब्लैग फंगस के करीब 100 संक्रमित मरीज मिल चुके हैं.ब्लैक फंगस की सामान्य जानकारी और बचने के उपायब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) एक फंगस संक्रमण है. यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है, जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाइयां ले रहे हैं. इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है. व्यक्ति के शरीर में यह फंगस सूक्ष्म रूप में शरीर के अंदर चला जाता है, तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे. इस गम्भीर बीमारी हो सकती है. इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया, तो यह घातक हो सकती है.यह बीमारी किसे हो सकती हैयह बीमारी कोविड-19 मरीजों में जो डायबीटिक मरीज हैं. अनियंत्रित डायबीटिज वाले व्यक्ति को स्टॉराइड दवाइयां ले रहे हैं. ICU में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है. लक्षण दिखे तो चिकित्सक से तुरंत सम्पर्क करना चाहिए.ब्लैक फंगस के लक्षणआंख, नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना. नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना. जबड़े की हड्डी में दर्द होना. चेहरे में एक तरफ सूजन होना. नाक,तालु काले रंग का होना. दांत में दर्द, दांतों का ढ़िला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना।कैसे बचा जा सकता हैधूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर रखना।