नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक पोत आइएनएस राजपूत को 41 साल की सेवा के बाद शुक्रवार को नौसेना की सेवा से मुक्त किया जाएगा। कोविड-19 को देखते हुए नौसेना डाकयार्ड, विशाखापत्तनम में एक सादे समारोह में आइएनएस राजपूत को रिटायर किया जाएगा। कार्यक्रम में केवल इनस्टेशन अधिकारी और नाविक शामिल होंगे। यह मूल रूप से रूसी पोत था, जिसका नाम नादेजनी था। इसका अर्थ है ‘उम्मीद’। यह एंटी सबमरीन, एंटी एयरक्राफ्ट हमले में सक्षम है।
विशेषताएं
- 146.5 मीटर लंबाई
- 15.8 मीटर चौड़ाई
- 4,974 टन फुल लोड वजन
- 320 लोग क्षमत
- 35 नौटिकल मील
- (65 किमी प्रतिघंटा) गति
अहम बातें
- भारतीय नौसेना का पहला पोत, जिसे थल सेना (राजपूत रेजीमेंट) से संबद्ध किया गया
- नौसेना की पश्चिमी और पूर्वी दोनों कमान के बेड़े में सेवा दी
- जार्जिया में भारत की नौसेना में शामिल हुआ, कैप्टन गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी इसके पहले कमांडिंग आफिसर थे
- राजपूत श्रेणी के कुल पांच विध्वंसक भारतीय नौसेना की सेवा में रहे, जिनमें से तीन रिटायर हो चुके हैं
- आइएनएस राजपूत के रिटायर होने के बाद राजपूत श्रेणी में आइएनएस-राणा डी-52 व आइएनएस-रणजीत-डी53 सक्रिय रह गए है
प्रमुख मिशन
- अमन: भारतीय शांतिरक्षक बलों की सहायता के लिए श्रीलंका में चलाया गया
- ऑपरेशन कैक्टस: मालदीव में बंधकों की समस्या के समाधान के लिए चलाया गया
- ऑपरेशन पवन: श्रीलंका के तट पर पैट्रोलिंग ड्यूटी
- ऑपरेशन क्रॉसनेस्ट: लक्षद्वीप की तरफ किया गया
- मिसाइल परीक्षण: ब्रह्मोस, धनुष व पृथ्वी-तीन