कोरोना महामारी के दौरान अब ब्लैक फंगस चिंता का कारण बन गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर ब्लैक फंगस के लिए अलर्ट किया है। वहीं राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु इस ब्लैक फंगस को पहले ही महामारी घोषित कर चुके हैं। दिल्ली में भी इसके मरीजों के इलाज के लिए अलग से सेंटर्स बनाए जा रहे हैं
तेजी से बढ़ रहे ब्लैक फंगस इंफेक्शन के केस
स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने राज्यों से कहा कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन के केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं और इससे कोरोना मरीजों की मौतों की संख्या भी बढ़ रही है। हमारे सामने यह एक नई चुनौती है। कई राज्यों के कोरोना मरीजों में म्यूकर माइकोसिस नाम का फंगल इन्फेक्शन सामने आया है। ये खास तौर से उन मरीजों में दिखाई दे रहा है, जिन्हें स्टेरॉयड थेरेपी दी गई है और जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित है।
ब्लैक फंगस के इलाज में बरतें सावधानी
इस बीमारी का इलाज कई मोर्चों पर करना होता है। इसमें आई सर्जन, ENT स्पेशलिस्ट, जनरल सर्जन, न्यूरोसर्जन और डेंटल मैक्सीलो सर्जन भी शामिल हैं। इसके इलाज में एम्फ्टोथेरेसिन-B इंजेक्शन को इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि एक एंटीफंगल मेडिसिन है।
ICMR द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन किया जाए
आप ब्लैक फंगस को महामारी एक्ट 1897 के तहत गंभीर बीमारी घोषित कीजिए। इसके तहत सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्लैक फंगस की निगरानी, पहचान, इलाज और इसके मैनेजमेंट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन किया जाए। ब्लैक फंगस के सभी मामलों की रिपोर्ट जिला स्तर के चीफ मेडिकल ऑफिसर को की जाए। इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम सर्विलांस सिस्टम में भी इसकी जानकारी दी जाए।
ब्लैक फंगस सबसे ज्यादा खतरा किसे?
जिन मरीजों को डायबिटीज की बीमारी है। डायबिटीज होने के बाद स्टेरॉयड या टोसीलिजुमाब दवाइयों का सेवन करते हैं, उन पर इसका ज्यादा खतरा है। कैंसर का इलाज करा रहे मरीज या किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का अधिक रिस्क है। जो मरीज स्टेरॉयड को अधिक मात्रा में ले रहे हैं, उन्हें भी खतरा है।
कोरोना से पीड़ित गंभीर मरीज जो ऑक्सीजन मास्क या वेंटिलेटर के जरिये ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, ऐसे मरीजों को भी सतर्क रहने की जरूरत है।