नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रवासी मजदूरों के जीवन यापन की समस्या को गंभीरता से लेते हुए केंद्र से लेबर रजिस्ट्रेशन स्कीम के बारे में जवाब मांगा। कोर्ट ने केंद्र के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण की प्रक्रिया काफी धीमी है , इसे तेज किया जाना चाहिए ताकि योजनाओं के लाभ उन तक पहुंच पाएं।
सभी लाभार्थियों को मिले योजना का फायदा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि योजनाओं का फायदा प्रवासियों सहित सभी लाभार्थियों तक पहुंचे और इस प्रक्रिया की निगरानी की जाए। योजनाओं के लाभ प्रवासी मजदूरों को उनकी पहचान किए जाने तथा उनके पंजीकरण के बाद ही मिल सकते हैं । कोर्ट ने कहा कि हम असंगठित क्षेत्रों में मजदूरों के पंजीकरण के मुद्दे पर केन्द्र, राज्यों के प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं
प्रवासी कामगारों के रोजगार देने पर भी जोर
दरअसल पिछले साल 2020 में कोरोना लॉकडाउन के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करने का फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को लॉकडाउन के बाद इन प्रवासी कामगारों के रोजगार के लिए योजनाओं को निर्दिष्ट करने के लिए भी कहा है। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकार को उन सभी कल्याणकारी योजनाओं का विवरण देने के लिए कहा गया, जिनका लाभ प्रवासी श्रमिक उठा सकते हैं।