भोपाल। रेमडेसिविर इंजेक्शन के कालाबाजारी मामले में फरार जेके हॉस्पिटल के आईटी विभाग के मैनेजर आकाश दुबे ने कोलार थाने में सरेंडर कर दिया है। पिछले 12 दिनों से जिस साढ़े सात हजार के इनामी आकाश दुबे की सरगर्मी से तलाश थी, वह फरार इनामी आकाश दुबे फिल्मी सीन की तरह ऑटो में सवार होकर खुद ही कोलार थाने पहुंच गया। एक बार को पुलिस भी उसका नाम सुनकर भौचक्का रह गई कि जिसकी तलाश में पुलिस खाक छान रही थी। वह फरार आकाश दुबे इतनी आसानी से थाने पहुंच गया।
यहां जानकारी के लिए बताते चलें कि आकाश दुबे के पिता रिटायर्ड डीएसपी है और भोपाल के कोतवाली थाने में टीआई रह चुके है। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही हैं। वहीं आज पुलिस उसे कोर्ट में पेश कर रिमांड मांगेगी। पुलिस को रिमांड में बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है। लेकिन अब तक की पूछताछ में आकाश ने कबूल किया है कि वह रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करता था। वो इंजेक्शन को मार्केट में कालाबाजारी करने के लिए दोस्त अंकित सलूजा उसके चचेरे भाई नानू उर्फ दिलप्रीत और मेडिकल संचालक दोस्त आकर्ष सक्सेना को देता था। फिलहाल तीनों जेल में है।
गौर करने वाली बात है कि कोरोना महामारी ने जब कहर बरपाया था, तब एक-एक रेमडेसिविर के लिए जरुरतमंद तरस रहे थे। उनके परिजन रेमडेसिविर इंजेक्श्न, जिसकी कीमत महज 900 रुपए है, उसे 40 हजार तक में खरीदने के लिए मजबूर थे। उस बुरे दौर में इस तरह के कालाबाजारियों ने लोगों की जान की परवाह किए बगैर मुनाफाखोरी का गोरखधंधा शुरु कर दिया था।