दुर्ग। दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह सुझाव दिया है कि प्रत्येक दो परिवारों की बीच में से कम से कम 1 सदस्य को चिकित्सा पद्धति की आवश्यकताओं के अनुसार आधारभूत प्राथमिक चिकित्सा सेवा की जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान किया जाए और उसे आरोग्य मित्र के रुप में जाना जाए, जिसके द्वारा आपातकालीन स्थिति में प्राथमिक चिकिसकीय उपचार किया जाना संभव हो सके।
सांसद विजय बघेल ने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री से निवेदन किया कि प्रत्येक दो कुटुंब में से कम से कम एक आरोग्य मित्र की परिकल्पना प्राथमिक चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के संबंध में सशक्त विकल्प बन सकती है। आरोग्य मित्र की परिकल्पना से आने वाले समय में सभी प्रकार की महामारियों एवं संभावित जैविक हमले से बचाव हेतु देश आत्मनिर्भर व सक्षम होगा साथ ही वर्तमान में कोरोनावायरस के प्रकोप से जनता को बचाने के लिए भी आरोग्य मित्र अहम सहयोगी होगा।
सांसद विजय बघेल ने आरोग्य मित्र को दी जाने वाली चिकित्सकीय प्रशिक्षण के बारे में उल्लेखित किया है कि आरोग्य मित्र को मूलभूत चिकिसकीय जानकारी का प्रशिक्षण प्रदान किया जाए जिसके अंतर्गत टेंपरेचर रीडिंग, ब्लड प्रेशर और शुगर चेक करना, इंजेक्शन लगाना, ऑक्सीजन देना, नियमित दी जाने वाली दवाओं की जानकारी इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जाए जिससे आरोग्य मित्र में ऑनलाइन चिकित्सकीय परामर्श लेकर उसका पालन करने की आवश्यक समझदारी विकसित होगी। इस संबंध में पृथक से पाठ्यक्रम स्वास्थ्य मंत्रालय को प्रेषित किया गया है।
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सांसद विजय बघेल ने कहा कि वर्तमान में संक्रमित होने के पश्चात किसी प्रकार की चिकित्सकीय जानकारी देने वाला कोई नजदीकी परिचित नहीं होने के कारण मरीज प्राथमिक उपचार और सावधानियों का पालन करना छोड़कर सीधे अस्पताल पहुंचता है, जिसके कारण स्वास्थ्य सुविधाओं पर अनावश्यक दबाव बढ़ रहा है ऐसी स्थिति को कुटुंब आरोग्य मित्र होने से नियंत्रित किया जाना आसान हो सकेगा।। कुटुंब आरोग्य मित्र जैसी परिकल्पना के अस्तित्व में नहीं होने के कारण मरीजों की संख्या और उनकी स्वास्थ्य स्थिति दोनों अनियंत्रित होती जा रही है और अस्पतालों व स्वास्थ्य सुविधाओं पर अनअपेक्षित बोझ बढ़ रहा है, परिणामस्वरूप अस्पतालों में बिस्तरों की कमी हो रही है किंतु कुटुंब आरोग्य मित्र की कल्पना के कायम होने के बाद ऐसी परिस्थितियों पर नियंत्रण किया जाना संभव होगा और अस्पतालों पर अनअपेक्षित बोझ नहीं बढ़ेगा।
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