रायपुर। माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर छत्तीसगढ़ अलायन्स फ़ॉर बिहेवियर चेंज व यूनिसेफ के द्वारा संयुक्त रूप से विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को माहवारी स्वच्छता दिवस पर इससे जुड़े विषयों पर चर्चा करने के लिए विशेष वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख रुप से यूनिसेफ, छग प्रमुख जॉब जकारिया व विषय विशेषज्ञ के रुप में ओबी-जीन और इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ नीरज पहलाजानी शामिल हुईं। कार्यक्रम का संचालन यूनिसेफ, सी4डी सलाहकार नियति राज ने किया। इस अवसर पर डॉ पहलाजानी ने कहा कि माहवारी किसी भी महिला के जीवन से जुड़ी एक सामान्य और प्राकृतिक प्रकिया है। बस ज़रूरत है इस विषय पर लोगों को शिक्षित व जागरुक करने की, जोकि इनके आभाव में हम जाने-अनजाने गलत निर्णय लेते हैं, लापरवाही बरतते हैं और फलतः भविष्य में स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
माहवारी पर समाज के हर वर्ग को जागरुक करना जरुरी:
डॉ पहलाजानी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि माहवारी शारीरिक तौर पर महिलाओं के जीवन से संबंधित विषय है, पर सामाजिक तौर पर हमें इन विषयों पर हर वर्ग को जागरूक करना होगा। न केवल महिलाओं व किशोरियों को अपितु पुरुषों व किशोरावस्था वाले युवकों को भी माहवारी संबंधित विषयों पर शिक्षा देनी चाहिए। उन्हें इस दौरान होने वाले शारीरिक बदलावों व महिलाओं की समस्याओं के बारे में बताना जरुरी है ताकि हम अपनी बेटियों के लिए एक सकारात्मक सामजिक व्यवस्था का निर्माण कर सकें।
मानसिक स्वास्थ्य व पुरुषों की भूमिका:
डॉ पहलाजानी ने बताया माहवारी महिलाओं में उम्र के साथ होने वाले शारीरिक बदलाव और उनके परिपक्व होने का सूचक है। पर अगर हम इस विषय को लेकर उनका अपमान, उनके साथ भेद या उन्हें उनके सामान्य जीवन से जीने के अधिकार से वंचित करने का प्रयास करते है तो हो सकता है कि ये उनके मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाले, जो कि उनके लिए खतरनाक हो सकता है। वहीं “छग यूनिसेफ प्रमुख जॉब जकारिया ने ऐसी स्थिति में पुरुषों की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर आप एक पिता हैं तो अपनी बेटी से बात करें उन्हें बताएं कि आप उनके साथ हैं। अगर आप एक भाई है तो अपनी बहन की समस्याओं को समझें उनका मनोबल बढ़ाएं, और एक पति हैं तो अपनी पत्नी की उचित देखभाल करें।”
निजी स्वछता का रखें विशेष ध्यान :
डॉ पहलाजानी ने बताया स्वच्छता को लेकर हमें सजग और सुरक्षित व्यवहार अपनाना होगा। माहवारी के दौरान स्वच्छता के अभाव में महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर औऱ कई केसेस में बांझपन जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। वहीं इस दौरान उपयोग में लाए गए कपड़े अथवा सैनिटरी नैपकिन का सही निपटान नहीं करने से संक्रमण फैलने का भी खतरा होता है।
इस आधार पर भेद गलत :
वेबिनार के दौरान माहवारी जैसे विषयों पर काम कर कर रही सेविकाओं ने अपने अनुभव भी साझा किए, इस दौरान जो बड़ी बात सामने निकलकर आई वो ये कि आज भी महिलाओं को घर व बाहर दोनों ही जगहों माहवारी के दौरान कुछ सीमित दायरों में बांध दिया जाता है। जिस पर विशेषज्ञों ने कहा कि इस आधार पर भेद करना गलत है, महिलाओं को इन दिनों भी अपना सामन्य जीवन जीने का पूरा-पूरा अधिकार है।