कोरोनावायरस ने जितना नहीं डराया उससे कहीं ज्यादा फंगस डरा रहा है। दिल को डराने वाले नए-नए फंगस के मामले सामने आ रहे हैं, कभी ब्लैक फंगस तो कभी व्हाइट और येलो फंगस ने लोगों की नींद हराम कर रखी है। इंसान के शरीर में यह फंगस खान-पान और सांस के जरिए प्रवेश करता है। इस फंगस को रोकने का काम नाक के बाल करते हैं, अगर यह फंगस नाक में रूक जाता है तो हमारी नाक में थोड़ी खुजली होती है और हम उसे निकाल देते हैं।
अगर इम्यून सिस्टम कमजोर होता है तो फंगस के स्पोर्स को बाहर निकालने का काम शरीर नहीं कर पाता। स्पोर्स शरीर के अंदर पहुंचकर पनपने लगते हैं। फंगस को बॉडी में पहुंच कर पसंदीदा भोजन मिलने लगता है। यह फंगस बॉडी में पहुंचकर तरह-तरह के रूप लेकर सामने आता है। कोरोना के इस मुश्किल दौर में फंगस से भी सतर्क रहने की जरूरत है। इस फंगस की पहचान करना बेहद जरूरी है। इस फंगस की पहचान कई तरह के टेस्ट करा के की जाती है।
इसोफेगल एंडोस्कोपी:
अगर इंफेक्शन फूड पाइप या आंत में हो तो इसोफेगल एंडोस्कोपी कराने की जरूरत होती है। इस टेस्ट को कराने के लिए चार हज़ार रूपये लगते हैं। इस टेस्ट की रिपोर्ट सेम डे मिल जाती है।
नेज़ल एंडोस्कोपी:
अगर इंफेक्शन नाक या उसके अंदरुनी भाग में है तो नेज़ल एंडोस्कोपी की जाती है, जिसे करने के लिए 2-3 हजार रूपये का खर्च आता है। इस टेस्ट की रिपोर्ट भी सेम डे मिल जाती है।
MRI:
अगर इंफेक्शन ब्रेन में है तो उसका पता लगाने के लिए MRI की जाती है। इसे कराने के लिए 8-10 हज़ार रूपये का खर्च आता है, रिपोर्ट उसी दिन मिल जाती है।
CT SCAN:
लंग्स और ट्रेकिया में इंफेक्शन है तो CT SCAN करके इंफेक्शन का पता लगाया जा सकता है। इसे करने के लिए 4-6 हजार रूपये का खर्च आता है। इसकी रिपोर्ट भी उसी दिन मिल जाती है।