छत्तीसगढ़ पुलिस में सहायक आरक्षक मनोज नेताम 36 दिन से लापता हैं। नक्सलियों का दावा है कि उन्होंने मनोज नेताम की हत्या कर दी है। इसको लेकर नक्सलियों ने राजनांदगांव में मदनवाड़ा थाने से महज एक किमी दूर बैनर भी बांधा है। नक्सल संगठन के स्थानीय लीडर ने पत्र जारी कर मुखबिरी और अवैध वसूली के नाम पर हत्या की बात कही है। हालांकि जवान का शव बरामद नहीं हुआ है। वहीं पुलिस का कहना है कि जवान का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
नक्सल संगठन ने ली हत्या की जिम्मेदारी
जानकारी के मुताबिक, नक्सलियों ने मदनवाड़ा से रेतेगांव के बीच सीतागांव मार्ग पर दो पेड़ों के बीच बैनर लगाया है। उसी बैनर पर लापता जवान मनोज नेताम को मौत की सजा देने की बात लिखी गई है। नक्सल संगठन आरकेबी डिवीजन के प्रवक्ता विकास ने सहायक आरक्षक मनोज नेताम की हत्या की जिम्मेदारी ली है। कहा है कि पुलिस में भर्ती होने के पहले मनोज गोपनीय सैनिक के रूप में मुखबिरी का काम करता था। फिर जब पुलिस में भर्ती हो गया तो अवैध रूप से वसूली करने लगा।
शव देने से किया इंकार
नक्सल प्रवक्ता ने अपने पत्र में बताया है कि पहले भी उन्होंने मनोज को खत्म करने का प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद मौका देखकर उसका अपहरण करने के बाद हत्या कर दी गई। प्रवक्ता ने जवान मनोज का शव परिजनों को देने में असमर्थता भी जताई है। हालांकि पुलिस की ओर से नक्सलियों के इस दावों की पुष्टि नहीं की गई है। भानुप्रतापपुर एसडीओपी अमोलक सिंह ढिल्लो का कहना है कि सहायक आरक्षक मनोज नेताम की हत्या किए जाने की कोई जानकारी नहीं है।
मानपुर के नक्सल क्षेत्र में मिली थी बाइक और चप्पल
सहायक आरक्षक मनोज नेताम की बाइक और चप्पल 1 मई को कांकेर बार्डर से लगे राजनांदगांव के नक्सल प्रभावित इलाके मानपुर के सुनसान इलाके में मिली थी। वह कांकेर के जाड़ेकुर्सी गांव के रहने वाले हैं और कोडेकुर्सी थाने में तैनात थे। वह 28 अप्रैल को ड्यूटी पर थाना नहीं पहुंचे। इसके बाद से उनका कुछ पता नहीं चल रहा था। जहां से चप्पल और बाइक बरामद हुई है, वहीं से कुछ दूरी पर जवान का गांव भी है। तब अफसरों ने कहा था कि वह बिना बताए और छुट्टी लिए गायब हैं।