राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ में भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता डाॅ. नंदकुमार साय ने एक बार फिर डाॅ. रमन सरकार के कार्यकाल पर सवालिया निशान लगा दिया है। डाॅ. साय का स्पष्ट कहना है कि पूर्ववर्ती डाॅ. रमन सरकार ने नक्सल गतिविधियों को रोकने कोई भी प्रयास नहीं किया, जबकि इस समस्या का समाधान काफी समय पहले ही हो सकता था। उन्होंने चर्चा में यह भी कह दिया कि किसी भी काम को करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है, जिसकी कमी पूरे 15 सालों तक महसूस होती रही।
पनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल
छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति पहले ही कुछ अच्छी नहीं है, ऐसे में प्रदेश के प्रथम नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ आदिवासी नेता का अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल खड़ा किया जाना बेहद गंभीर मामला है। हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने महंगाई के मसले पर विवादित बयान दिया था, अब डाॅ0 साय का सवाल खड़ा किया जाना, प्रदेश में भाजपा के भीतरी कलह को उजागर करने लगा है।
सिलगेर घटना पर पत्रकारों से चर्चा
दरअसल, नंदकुमार साय सिलगेर घटना पर पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। राजनांदगांव प्रवास के दौरान प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि ग्रामीण पुलिस कैंप का विरोध कर रहे थे तो उन्हें ग्रामसभा से राय लेनी चाहिए थी। वहां ग्रामसभा है, पांचवी अनुसूची क्षेत्र है। ग्रामीण पुलिस कैंप का विरोध इसलिए किया जाता है क्योंकि पुलिस के आने से बहुत सारी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं।
गांववालों का कहना है कि पुलिसवाले गांव आकर किसी के भी घर से मुर्गा या बकरा उठाकर ले जाते हैं। महिलाओं से बलात्कार होता है। यही वजह है कि वह पुलिस से खौफ खाते हैं और पुलिस कैंप का विरोध करते हैं। प्रशासन को चाहिए कि वे ग्रामसभा से बात करें उसके बाद पुलिस कैंप खोलने का निर्णय लें।