बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व में घायल मिली बाघिन के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। दूसरे दिन ही बुधवार को कानन पेंडारी जू में उसने चिकन सूप के अलावा तीन किलो चिकन चट कर दी। उसे डेढ़ किलो चिकन और दिया गया है। इधर सुरक्षा को लेकर भी खास इंतजाम किए गए हैं। पिंजरे के बाहर एक कैमरा लगाया है। जिसके जरिए जू प्रबंधन के साथ- साथ रायपुर में बैठकर वन्य प्राणी प्रधान मुख्य वनसंरक्षक निगरानी रखे हुए हैं।
चार घंटे की मशक्कत के बाद बाघिन को अचानकमार टाइगर रिजर्व के छपरवा रेंज से रेस्क्यू कर कानन पेंडारी जू लाया गया। जू लाने के बाद सीधे रेस्क्यू सेंटर में रखा गया। पीठ व पैर में घाव की वजह से वह कमजोर हो गई है। यही वजह है कि जंगल सफारी के पशु चिकित्सक डा. राकेश वर्मा, कानन पेंडारी जू के दोनो चिकित्सक डा. अजीत पांडेय व स्मिता प्रसाद तीनों उसका इलाज कर रहे हैं। तत्काल उपचार होने का असर है कि 24 घंटे के भीतर बाघिन की हालत में सुधार दिखने लगा है।
बुधवार की सुबह डेढ़ किलो चिकन दिया गया। जिसे वह चट कर गई। चिकन खत्म होने के बाद दोबार डेढ़ किलो चिकन दिया गया। इसे भी वह खा गई। इसके अलावा चिकन का सूप भी पी है। इससे अधिकारियों ने राहत की सांस भी ली, यदि वह अधिक बीमार रहती है तो आहार नहीं खाती। हालांकि देखभाल या अन्य व्यवस्थाओं में विभाग किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाह रहा है। यही वजह है कि मंगलवार को ही जहां बाघिन को रखा गया है। वहां पर एक कैमरा लगा दिया गया।
जू कार्यालय में बैठकर अधिकारी इसी कैमरे के जरिए बाघिन की पल- पल की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। प्रधान मुख्य वनसंरक्षक वन्यप्राणी नरसिंहा राव भी मोबाइल पर बाघिन की हलचल देख रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि बाघिन के नजदीक तीन चिकित्सक व एक जूकीपर के अलावा कोई भी नहीं जाएगा। कैमरे में यदि पांचवा कोई भी नजर आया तो कार्रवाई की जाएगी।
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बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व में घायल मिली बाघिन के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। दूसरे दिन ही बुधवार को कानन पेंडारी जू में उसने चिकन सूप के अलावा तीन किलो चिकन चट कर दी। उसे डेढ़ किलो चिकन और दिया गया है। इधर सुरक्षा को लेकर भी खास इंतजाम किए गए हैं। पिंजरे के बाहर एक कैमरा लगाया है। जिसके जरिए जू प्रबंधन के साथ- साथ रायपुर में बैठकर वन्य प्राणी प्रधान मुख्य वनसंरक्षक निगरानी रखे हुए हैं।चार घंटे की मशक्कत के बाद बाघिन को अचानकमार टाइगर रिजर्व के छपरवा रेंज से रेस्क्यू कर कानन पेंडारी जू लाया गया। जू लाने के बाद सीधे रेस्क्यू सेंटर में रखा गया। पीठ व पैर में घाव की वजह से वह कमजोर हो गई है। यही वजह है कि जंगल सफारी के पशु चिकित्सक डा. राकेश वर्मा, कानन पेंडारी जू के दोनो चिकित्सक डा. अजीत पांडेय व स्मिता प्रसाद तीनों उसका इलाज कर रहे हैं। तत्काल उपचार होने का असर है कि 24 घंटे के भीतर बाघिन की हालत में सुधार दिखने लगा है।बुधवार की सुबह डेढ़ किलो चिकन दिया गया। जिसे वह चट कर गई। चिकन खत्म होने के बाद दोबार डेढ़ किलो चिकन दिया गया। इसे भी वह खा गई। इसके अलावा चिकन का सूप भी पी है। इससे अधिकारियों ने राहत की सांस भी ली, यदि वह अधिक बीमार रहती है तो आहार नहीं खाती। हालांकि देखभाल या अन्य व्यवस्थाओं में विभाग किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाह रहा है। यही वजह है कि मंगलवार को ही जहां बाघिन को रखा गया है। वहां पर एक कैमरा लगा दिया गया।जू कार्यालय में बैठकर अधिकारी इसी कैमरे के जरिए बाघिन की पल- पल की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। प्रधान मुख्य वनसंरक्षक वन्यप्राणी नरसिंहा राव भी मोबाइल पर बाघिन की हलचल देख रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि बाघिन के नजदीक तीन चिकित्सक व एक जूकीपर के अलावा कोई भी नहीं जाएगा। कैमरे में यदि पांचवा कोई भी नजर आया तो कार्रवाई की जाएगी।