रायपुर। राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल की गंदी करतुत सामने आ रही है। मानवता को शर्मसार करती यह घटना रायपुर के एक निजी अस्पताल की है, जहां पर एक जिंदा नवजात बच्ची को मृत घोषित कर दिया। इतना ही नहीं, उसे कूड़ेदान में फेंक दिया। जब उस नवजात ने रोना शुरू किया, तो हकीकत से बेखबर परिजनों को इस सच्चाई का पता चला। उस मासूम को तत्काल उपचार के लिए दूसरे अस्पताल दाखिल किया गया है।
धरती के भगवान का दर्जा
डाॅक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि डाॅक्टर समर्पित भाव से लोगों की जान बचाने, उन्हें नई जिंदगी देने का काम करते हैं। इसके विपरीत जब डाॅक्टर ही इस तरह की घिनौनी करतुत पर उतारु हो जाएं तो फिर कैसे लोग उन पर विश्वास कर पाएंगे। वह तो गनीमत कहा जाए कि समय रहते नवजात को कूड़ेदान से उठा लिया गया, उसे दूसरे अस्पताल में उपचार के लिए परिजन लेकर चले गए, इसलिए उसकी जान बच गई।
महज लापरवाही नहीं है यह
बगैर पूरी तरह जांच किए इस तरह से नवजात को मृत घोषित किया जाना। उसके बाद उसे कूड़ेदान में फेंक दिया जाना, जहां इंसानियत के खिलाफ है, तो दूसरी तरफ गुनाह भी है। इसे महज लापरवाही का नाम नहीं दिया जा सकता।
इस तरफ भी इशारा
बेऔलाद माता-पिता बच्चों की चाहत में ऊंची कीमत देने के लिए एक पांव पर खड़े रहते हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि छत्तीसगढ़ में भी ऐसी कई दंपतियां है, जिनकी लाख कोशिशों के बावजूद उनके गोद सूने हैं। ऐसे में वे बच्चों को गोद लेने की कोशिशें करते हैं। जिसका पूरा फायदा मेडिकल पेशे से जुड़े लोग उठाते हैं। बच्चों के असल माता-पिता से कुछ इस तरह झूठ बोला जाता है और फिर मुंह मांगी रकम ऐंठा जाता है।