नई दिल्ली। कांग्रेस ने तीन राज्यों में भाजपा को शिकस्त देकर सत्ता तो हासिल कर ली, लेकिन आंतरिक कलह से बाहर नहीं पाई। जिसकी वजह से मध्यप्रदेश की सत्ता से हाथ धोना पड़ गया और राजस्थान के हालात भी वैसे ही बने हुए हैं। कुछ हद तक छत्तीसगढ़ में भी यही स्थिति है, लेकिन नियंत्रण से बाहर नहीं हुआ है। लेकिन राजस्थान में परिस्थितियां कभी भी बदल सकती है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
राजस्थान में सचिन पायलट और उनके खेमे की नाराजगी को लेकर एक सियासी हलचल लगातार तेज हो रही है। पायलट पिछले साल उनसे किए गए वादे 10 महीने बाद भी पूरे नहीं होने पर नाराजगी जता चुके हैं। इस बीच पायलट कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के संपर्क में हैं। बताया जाता है कि कल देर रात उनकी फोन पर प्रियंका से बात हुई है। बातचीत का ब्योरा तो पता नहीं चला है, लेकिन माना जा रहा है कि पायलट ने अपनी प्रियंका से अपनी बात कह दी है।
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पायलट आज दिल्ली भी जाने वाले हैं। दिल्ली में वे कांग्रेस के सीनियर लीडर्स से मिल सकते हैं। अब नजरें इस पर रहेंगी कि पायलट की प्रियंका से मुलाकात कब होती है। क्योंकि पिछली बार बगावत के बाद उन्हें मनाने में प्रियंका की ही अहम भूमिका रही थी। जाहिर है कि पायलट को लेकर अब कांग्रेस की चिंता इसलिए भी बढ़ गई होगी, क्योंकि दो दिन पहले ही राहुल गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हो गए थे।
वहीं पायलट दिल्ली में कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मुलाकात कर सकते हैं। ये दोनों ही नेता पायलट के मुद्दे को लेकर पिछले साल बनाई गई सुलह कमेटी में शामिल हैं। हालांकि इस कमेटी की रिपोर्ट 10 महीने बाद भी नहीं आई है और पायलट की नाराजगी की वजह भी यही है।
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सचिन पायलट ने अशोक गहलोत सरकार से नाराजगी तो जाहिर की है, लेकिन यह संकेत भी दिए हैं कि वे कांग्रेस में रहकर ही संघर्ष करेंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पायलट की मुख्य लड़ाई कांग्रेस से नहीं बल्कि अशोक गहलोत से है। इन दोनों के बीच सत्ता का संघर्ष आगे भी जारी रहेगा।
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सचिन पायलट जयपुर में महंगाई के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं। पायलट ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ लगातार अभियान चलाने की पैरवी की है। वे कांग्रेस के सभी कार्यक्रमों में लगातार हिस्सा ले रहे हैं। इसके पीछे लगातार सक्रिय रहने की रणनीति है।