राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए फिलहाल किसी भी स्कूल को खोले जाने की अनुमति प्रदान नहीं की है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ के निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर फीस वसूली शुरू कर दी गई है। जबकि स्कूलों के द्वारा ना तो बच्चों की शिक्षा पर किसी तरह का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहां तक कि परीक्षाएं भी निरस्त कर दी गईं थी। चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि राजनांदगांव के एक निजी स्कूल ने पालकों को अपने वकील के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्यों ना ऐसे स्कूलों की मान्यता ही निरस्त कर देनी चाहिए, जो इस तरह के दबाव की साजिश रचकर बच्चों और पालकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहे हैं?
इस मामले में स्कूल के वकील ने सफाई दी
प्राप्त जानकारी के मुताबिक राजनांदगांव के एक निजी स्कूल ने इस तरह की घटिया हरकत को अंजाम दिया है। इस स्कूल ने वकील प्रियंका राय के जरिये पालकों को नोटिस भेजा है। बताया जा रहा है कि नोटिस में अध्ययनरत छात्रा का नाम भी लिखा है। वहीं इस मामले में स्कूल के वकील ने सफाई दी है कि हमने सभी पालकों को पोस्ट के जरिये नोटिस भेजा है, लेकिन पैरेंट्स ने ही नाम उजागर किये हैं। नोटिस में जिक्र किया गया है कि फीस जमा कराने को लेकर कई बार मौखिक रूप से सूचना दी गई थी।
साथ ही ये भी कहा गया था कि फीस नहीं जमा कराने की वजह को लेकर कोई दस्तावेज है, तो वो भी स्कूलों में दर्शाये, लेकिन फीस नहीं दिया गया, लिहाजा ये नोटिस भेजा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक वकील प्रियंका राय की तरफ से कितने पालकों को इस तरह का नोटिस दिया गया है, इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है।
सरकार को उठाना होगा सख्त कदम
कोरोना काल में जहां सरकार के द्वारा स्कूल शिक्षा को लेकर फिलहाल किसी तरह का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है, वहीं पूर्व आदेश के मुताबिक शासकीय आदेश के आधार पर स्कूलों को फीस लिए जाने का आदेश भी निहित है। इसके बाद भी यदि स्कूल प्रबंधन के द्वारा पालकों और बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, तो इसके लिए सरकार को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।