रायपुर के प्राइवेट स्कूल और पालकों के बीच चले आ रहे फीस विवाद पर प्रशासन ने अपना रुख साफ कर दिया है। फीस तो देनी होगी। मगर प्राइवेट स्कूल के संचालाकों को सख्त हिदायत दी गई है कि फीस के पैसे न मिलने पर बच्चों की ऑनलाइन क्लास बंद नहीं की जा सकेगी। प्राइवेट स्कूल वालों ने भी कहा कि वो बिना फीस के भी बच्चों को ऑनलाइन क्लास देंगे, मगर पालकों से फीस देने का निवेदन करेंगे। कलेक्टर ने भी पालाकों से समय पर फीस देने की अपील की है। ताकि स्कूल में होने वाले खर्च पूरे किए जा सकें। इसे लेकर सोमवार को एक बैठक कलेक्टर ऑफिस में हुई। इस बैठक में विधायक विकास उपाध्याय भी पहुंचे थे।
होगी दूसरे दौर की बैठक
इस बैठक में फीस कटौती या माफ किए जाने की राहत पालकों को नहीं दी गई है। कहा जा रहा है कि इसके लिए फिर बैठक होगी। इस बार नोडल अफसर स्कूल मैनेजमेंट व पैरेंट्स की बैठक लेंगे। यही नहीं स्कूल से संबंधित शिकायत भी पैरेंट्स नोडल अफसर से कर सकेंगे । फीस या किसी दूसरी शिकायत के लिए पालक नोडल अफसर से बात कर सकेंगे। हर स्कूल में अब नोडल अफसर का नाम और फोन नंबर एक बोर्ड पर लिखा जाएगा। निजी स्कूलों ने फीस नहीं देने वाले बच्चों को ऑनलाइन क्लास से दूर रखा था। फीस के लिए भी स्कूल लगातार दबाव बनाते रहे। उन्हें ऐसा न करने की हिदायत दी गई है।
इस बैठक में कलेक्टर सौरभ कुमार, जिला पंचायत सीईओ मयंक चतुर्वेदी, विधायक विकास उपाध्याय, विधायक अनिता शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी एएन.बंजारा, छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता समेत अन्य शामिल हुए। बैठक को लेकर यह कयास लगायी जा रही थी कि फीस का मामला सुलझ जाएगा। फीस को लेकर पैरेंट्स को कुछ राहत मिलेगी। लेकिन डेढ़ घंटे चली बैठक के बाद फीस कटौती को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ।
फीस माफ करने पर विचार करे सरकार
YMS यूथ फाउंडेशन के महेंद्र सिंह होरा ने कहा कि एक बार फिर कोरोना महामारी ने लोगों को आर्थिक तौर पर कमजोर किया है। स्कूली बच्चों की फीस माफी के बारे में सरकार को विचार करना चाहिए, हर परिवार इस खर्च के बोझ तले दबा है।