कनाडा में इन दिनों मक्खन को लेकर बवाल मचा हुआ है. कनाडियन जनता को संदेह है कि डेयरी उत्पादक गायों के खाने में मिलावट कर रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा मक्खन तैयार हो सके. इससे बटर की क्वालिटी खराब होती जा रही है. बटर जैसी सामान्य चीज को लेकर वहां लोगों का गुस्सा मीडिया की रिपोर्टिंग में भी दिख रहा है. इसे बटरगेट कांड तक कहा जा रहा है.
मक्खन को लेकर परेशान कनाडा
एक तरफ दुनिया कोरोना वायरस से त्रस्त है तो दूसरी ओर कई देश अपनी अलग ही समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं. कनाडियन लोगों में मक्खन को लेकर शिकायत इसी श्रेणी में है. वे परेशान हैं कि मक्खन को कमरे के तापमान पर रखने पर भी वो नर्म नहीं पड़ रही और उसका स्वाद भी उतना बढ़िया नहीं रहा. अंदेशा जताया जा रहा है कि गायों की डाइट में कोई ऐसा बदलाव हुआ है, जिसका असर बटर पर हुआ है. कुछ का ये भी मानना है कि गायों को ताड़ का तेल दिया जा रहा है ताकि उनके दूध से ज्यादा से ज्यादा बटर तैयार हो सके.
ज्यादा बटर की जरूरत क्यों?
दरअसल साल 2020 में पूरी दुनिया की तरह कनाडा भी कोरोना संक्रमण की चपेट में था. इस दौरान वहां भी सख्त लॉकडाउन हुआ. घरों में बंद लोगों का खानेपीने की ओर रुझान बढ़ा. इसके साथ ही बटर की खपत तेजी से बढ़ी. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते साल कनाडा में मक्खन की खपत में 12% से भी ज्यादा इजाफा हुआ.
मीडिया ने कहा बटरगेट
इसके बाद कनाडियन लोगों ने भी ट्वीट कर यही बात कहनी शुरू कर दी. अनुमान लगा कि शायद गायों के खानपान में ताड़ का तेल शामिल करने से मक्खन की गुणवत्ता बदली है. इसके बाद मक्खनप्रेमी देश कनाडा में मामला इतना उछला कि मीडिया ने इसे वॉटरगेट की तर्ज पर बटरगेट नाम दे दिया. बता दें कि वॉटरगेट कांड अमेरिका में वो स्कैंडल है, जिसके कारण साल 1973 में महाभियोग चलने पर अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को इस्तीफा देना पड़ा था. ये स्कैंडल फोन टैपिंग से संबंधित था और खाने से इसका कोई लेना-देना नहीं था.
शुरू हो चुकी जांच
अब कनाडा में बटर से जुड़ा ये मामला इतना उछल चुका है कि इसमें खुद डेयरी फार्मर्स ऑफ कनाडा संस्थान को दखल देना पड़ा. ये संस्था किसानों और डेयरी उत्पादकों से जुड़ी है. शिकायतों को लेकर उसका कहना है कि वो पूरे मामले की जांच करेगी और पता लगाएगी कि बीते साल से अब तक आखिर मक्खन की गुणवत्ता में बदलाव क्यों आया।