गांव-गांव में टीकाकरण के प्रति जागरूकत
‘टीका मोर रखवार’ अभियान को लेकर हाई कोर्ट के अधिवक्ता अंजिनेश अंजय शुक्ला और निमिष किरण शर्मा पहुँचे ग्राम चरोदा और परसतराई, ब्लॉक – धरसीवां। उन्होंने टीकाकरण के प्रति ग्रामीणों में फैली अफवाहों और संदेह की स्थिति को दूर करने के उद्देश्य से ग्राम पंचायत भवन से ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि टीकाकरण करवाया जाना अब निजी ही नहीं किन्तु सामाजिक जिम्मेदारी भी है, योग्य व्यक्तियों के टीकाकरण से ही कोरोना की अनुमानित तीसरी लहर को व्याप्त होने से रोका जा सकेगा।
ज्ञात हो पिछले वर्ष जुलाई 2020 से ही संचालित और व्हाट्सएप व टेलीग्राम पर आधारित ‘कोविड-19 हेल्प’ ग्रुप के सदस्यों द्वारा कोविड संबधी उचित जानकारी व स्वास्थ्य संबंधित ज़रूरी सेवाएं पहुँचाने में सराहनीय भूमिका रही। यह ग्रुप अब वृहद रूप से रायपुर, भिलाई-दुर्ग व छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में भी कोविड से संबंधित मरीजों और उनके परिजनों को मदद पहुंचाने के लिए प्रयासरत रहा है।
अधिवक्तागण द्वारा बताया कि चूंकि कोर्ट का कार्य फिलहाल वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से ऑनलाइन ही संचालित हो रहा है ऐसे में बचे समय का सदुपयोग करते हुए अधिवक्तागण ग्रामीणों के बीच पहुँचे व उनसे वैक्सीन से जुड़े तथ्यों और अफवाहों पर चर्चा की और बताया कि ग्रामीण अंचलों में टीकाकरण के प्रति लोगों में बहुत सी अफवाहें और पूर्वाग्रह हैं जिनका दूर होना आवश्यक है। उन्होंने गांव वासियों के बीच हुई बैठक के दौरान बताया कि सरकार के द्वारा विभिन्न स्तरों पर टीकाकरण से जुड़े जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, अखबारों, रेडियो, टीवी और भी कई अन्य माध्यमों से प्रसारित किया जाता रहा है कि टीकाकरण पूर्णतः सुरक्षित है व इससे किसी प्रकार की कोई शारिरिक समस्या या दुर्बलता कारित नहीं होती। सरकारें राजकीय बजट का बहुत बड़ा हिस्सा लोगों को निःशुल्क टीकाकरण करने में खर्च रही है, ऐसे में लोगों की स्वयं जिम्मेदारी है कि सरकारी तंत्र और स्वास्थ्य सेवाओं पर संशय किये बिना एवं अफवाहों पर विश्वास न कर, टीकाकरण अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें।
अधिवक्ता अंजिनेश अंजय शुक्ला द्वारा बताया गया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर केवल शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी घातक सिद्ध हुई है। ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं की दूरी व सही समय पर इलाज के न मिल पाने की वजह से भी बहुत जाने गयीं। परन्तु मूल कारण अब भी यही है कि कोरोना से बचाव के लिए अपनाए जाने वाले निर्धारित तौर तरीकों में लापरवाही और इस बीमारी के प्रति आम जनता में अनभिज्ञता। भारत में वैक्सीन आने के साथ ही शहरों में तो वैक्सीन के प्रति जागरूकता देखने को मिली जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसके विपरीत वैक्सीन के प्रति संदेह और बेबुनियाद अफवाह ही प्रमुख कारण हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक वैक्सीनेशन का कार्य धीमा ही रहा है। सरकार के अथक प्रयासों के बाद भी गांव में लोगों के बीच वेक्सीन को लेकर समुचित राय नहीं बन सकी है। इन्हीं संशयों को दूर करने के उद्देश्य से की गई पहल ‘टीका मोर रखवार’ के माध्यम से उन्होंने और भी गैर सरकारी संस्थाओं को सामने आकर ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन के लाभ बताने उनके बीच जाने का आग्रह किया।