यूपी में जनसंख्या नियंत्रण के उपायों पर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए विधि आयोग मसौदा बना रहा है। मसौदे के अनुसार दो से अधिक बच्चों के अभिभावकों को सब्सिडी बंद करने और सरकार योजनाओं में कटौती का प्रस्ताव लाने की बात कही जा रही है।
उत्तर प्रदेश विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल ने रविवार को देश में बढ़ती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त की और उन्हें नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने की बात कही।
मित्तल ने एएनआई से बातचीत में कहा कि विस्फोटक होती जनसंख्या के कारण अन्य समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। अस्पताल, खाद्यान्न, घर और रोजगार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। हमारा मानना है कि जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण परिवार नियोजन से अलग है।
मित्तल ने कहा कि उनका बयान किसी समुदाय के लिए नहीं है। न ही वह नागरिकों के मानवाधिकारों को चुनौती देना चाहते हैं। हम उत्तर प्रदेश में यह संदेश नहीं देना चाहते कि हम किसी विशेष धर्म या किसी के मानवाधिकारों के खिलाफ हैं। हम बस यह देखना चाहते हैं कि सरकारी संसाधन और सुविधाएं उन लोगों के लिए उपलब्ध हों जो जनसंख्या नियंत्रण में मदद कर रहे हैं और योगदान दे रहे हैं।
इससे पहले 10 जून को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी गरीबी कम करने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। सरमा ने अल्पसंख्यक समुदाय को जनसंख्या नियंत्रण उपायों की दिशा में काम करने और जागरूक करने की बात कही थी।
उनका कहना था कि सरकार सभी गरीब लोगों की संरक्षक है। लेकिन सरकार को गरीबी कम करने और जनसंख्या वृद्धि के मुद्दे से निपटने के लिए आम लोगों के समर्थन की भी आवश्यकता है। जनसंख्या ही गरीबी, अशिक्षा का प्राथमिक कारण है। इसी के कारण उचित परिवार नियोजन नहीं हो पाता है।
मुख्यमंत्री ने सरकारी योजना के तहत लाभ का उपयोग करने वाले लोगों के लिए दो बच्चों की नीति की वकालत की। कहा कि यदि राज्य सरकार द्वारा आवास योजना शुरू की जा सकती है तो दो बच्चों के लिए नियम कानून भी बनाए जा सकते हैं। धीरे-धीरे हर राज्य सरकार की योजना में जनसंख्या नियंत्रण नियम भी आ जाएगा।