नई दिल्ली। दुशांबे (ताजिकिस्तान) में इस हफ्ते होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में अफगानिस्तान का मुद्दा छाया रहेगा। यह एससीओ के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की बैठक है और अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की घोषणा के बाद यह संगठन की पहली बैठक है। इसमें चीन, रूस, पाकिस्तान और दूसरे सदस्य देशों के एनएसए के अलावा भारतीय एनएसए अजीत डोभाल के भी हिस्सा लेने की संभावना है।
एनएसए मोईद यूसुफ ने अपने देश के नक्शे में कश्मीर को दिखाया था
पिछले वर्ष यह बैठक रूस में हुई थी, उसमें भी अफगानिस्तान का मुद्दा काफी अहम रहा था। एससीओ ऐसा संगठन है जिसके सभी सदस्यों का रणनीतिक हित सीधे तौर पर अफगानिस्तान से जुड़ा हुआ है। पिछले वर्ष एससीओ-एनएसए की बैठक वर्चुअल तौर पर हुई थी। उसमें पाकिस्तानी एनएसए मोईद यूसुफ ने अपने देश का जो नक्शा लगाया था, उसमें कश्मीर को दिखाया था। इसके बाद भारतीय एनएसए डोभाल बैठक से वाकआउट कर गए थे। 23-24 जून को होने वाली इस बैठक में इस बार यूसुफ और डोभाल के बीच आधिकारिक तौर पर द्विपक्षीय बैठक होने की संभावना नहीं है, हालांकि अनौपचारिक वार्ता की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
डोभाल व यूसुफ के बीच पहले भी अनौपचारिक मुलाकातें हुई
सनद रहे कि दोनों देश स्वीकार कर चुके हैं कि डोभाल व यूसुफ के बीच पहले भी अनौपचारिक मुलाकातें हुई हैं। यूसुफ ने रविवार को बताया कि उनकी डोभाल के साथ आधिकारिक द्विपक्षीय मुलाकात की कोई संभावना नहीं है। बताते चलें कि हाल के महीनों में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी दो बार एक ही संगठन की बैठक में साथ-साथ हिस्सा लेने के बावजूद आपस में नहीं मिले। सूत्रों के मुताबिक, एससीओ के सभी सदस्य (रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान) अफगानिस्तान के निकटतम या दूरस्थ पड़ोसी हैं और वहां के हालात इनके हितों को सीधे प्रभावित करते हैं।
अफगानिस्तान में हिंसक घटनाओं से भारत चिंतित
अमेरिकी सेना की वापसी की घोषणा के बाद अफगानिस्तान में हिंसक घटनाओं की बाढ़ आ गई है, जिससे भारत चिंतित है। जिस तरह पाकिस्तान समर्थित तालिबान अधिकांश क्षेत्रों में हिंसक वारदातों को अंजाम दे रहा है, उससे भारत की चिंता और बढ़ी है। अफगानिस्तान सरकार ने भी इन हिंसक वारदातों में पाकिस्तान का हाथ होने का आरोप लगाया है। भारत इस बैठक में विदेशी ताकतों की शह पर बढ़ाई जा रही हिंसा का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठा सकता है। एससीओ की पूर्व की बैठकों में भी भारत यह मुद्दा उठाता रहा है, लेकिन इस बारे में एससीओ का रुख पूरी तरह से चीन और रूस तय करेंगे। दोनों अभी बीच का रास्ता अपना रहे हैं। रूस और चीन अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ने से चिंतित तो हैं, लेकिन इसके पीछे पाकिस्तान के हाथ को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। दुनिया के दूसरे देश भी इस बार अफगानिस्तान के हालात के कारण एससीओ-एनएसए बैठक में खास रुचि ले रहे हैं।