नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि कोरोना टीकाकरण के लिए मोबाइल फोन का होना जरूरी नहीं है और न ही पते का प्रमाण ही अनिवार्य है। टीका लगवाने के लिए ‘को-विन’ पोर्टल पर पहले से आनलाइन पंजीकरण भी आवश्यक नहीं है। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर उन खबरों को खारिज किया है, जिनमें आरोप लगाया गया था कि तकनीकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाने के कारण बेघर लोगों को कोरोना टीकाकरण के लिए पंजीकरण से रोक दिया गया है।
खबरों में यह भी कहा गया था कि डिजिटल रूप से पंजीकरण करने की आवश्यकता, अंग्रेजी की जानकारी और इंटरनेट की सुविधा के साथ स्मार्टफोन या कंप्यूटर तक पहुंच कुछ ऐसे कारक हैं जो लोगों को टीकाकरण से वंचित करते हैं। इन दावों को आधारहीन बताते हुए मंत्रालय ने कहा कि जिन लोगों के पास इंटरनेट या स्मार्टफोन या मोबाइल फोन भी नहीं है, उनके लिए सभी सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर मुफ्त ‘आन-साइट’ पंजीकरण और टीकाकरण उपलब्ध है। उसने कहा कि अब तक लगाए गए टीकों की 80 प्रतिशत डोज इसी तरह से दी गई हैं।
को-विन 12 भाषाओं में उपलब्ध
बयान में कहा गया है कि लोगों की सुविधा के लिए को-विन प्लेटफार्म को अब 12 भाषाओं -हिंदी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, गुजराती, ओडिया, बांग्ला, असमिया, गुरुमुखी (पंजाबी) और अंग्रेजी में उपलब्ध कराया गया है।
बिना पहचान पत्र वालों के लिए विशेष व्यवस्था मंत्रालय ने आगे कहा है कि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, फोटो युक्त राशन कार्ड, दिव्यांग पहचान पत्र सहित नौ पहचान पत्रों में से कोई एक टीकाकरण के लिए आवश्यक है। परंतु, सरकार ने उन लोगों के लिए टीकाकरण सत्र आयोजित करने की खातिर विशेष प्रविधान किए हैं जिनके पास इनमें से कोई भी नहीं हो। ऐसे प्रविधानों का लाभ उठाते हुए अब तक दो लाख से अधिक ऐसे लाभाíथयों का टीकाकरण किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में 70 फीसद टीकाकरण केंद्र
बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में आदिवासी जिलों में कोविड टीकाकरण कवरेज बेहतर रहा है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 70 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं।