एएनआइ। आतंकी फंडिंग की निगरानी के लिए वैश्विक संस्था एफटीएएफ (Financial Action Task Force, FATF) ने पाकिस्तान को एकबार फिर ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है। समाचार एजेंसी एएनआइ ने पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से यह जानकारी दी है। एफएटीएफ के इस फैसले से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। उसके ‘ग्रे लिस्ट’ पर बने रहने का मतलब है कि उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ सहित अंतरराष्ट्रीय निकायों से निवेश और सहायता के लिए आर्थिक मदद पाने में मुश्किल आएगी।
दरअसल पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में पड़े हुए तीन साल हो चुके हैं। पाकिस्तानी पीएम इमरान खान पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट से निकालने के लिए पूरा हाथ पैर मार रहे हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में आतंकियों के तगड़े नेटवर्क के चलते इमरान को FATF की कार्य योजना को लागू करने में मुश्किलें पेश आ रही हैं।
मालूम हो कि 21 जून से पेरिस में एफएटीएफ का वर्चुअल सत्र शुरू हुआ था। इसका समापन 25 जून को हुआ। इस बैठक में अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स ने पाकिस्तान की अनुपालन रिपोर्टों की समीक्षा की। आखिरकार एफएटीएफ ने फैसला किया कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में ही रहेगा। इस महीने की शुरुआत में FATF के एक क्षेत्रीय सहयोगी ने पाकिस्तान को ‘एन्हांस्ड फॉलो-अप’ सूची में बनाए रखा था।
बीते दिनों एफएटीएफ की क्षेत्रीय शाखा एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) ने पाकिस्तान का ‘इनहैंस्ड फालोअप’ दर्जा बरकरार रखते हुए उससे मनी लॉन्ड्रिंग रोधी और आतंकवाद के वित्तपोषण उपायों को मजबूत करने के लिए कहा था। एपीजी के इस कदम से तय हो गया था कि पाकिस्तान एफएटीएफ की निगरानी सूची में बना रहेगा। एपीजी ने आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने और आíथक अपराध को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित में नाकाम रहने पर उक्त फैसला लिया था। पेरिस स्थित एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाला था।