नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि यदि वह चार धाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से शुरू करती है तो उसके लिए क्या व्यवस्थाएं होंगी। एसओपी क्या होगी और यात्रियों व स्थानीय निवासियों के लिए मेडिकल सुविधाएं और उनकी सुरक्षा के लिए क्या व्यवस्थाएं होंगी। हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि वह उक्त सभी बिंदुओं पर समय पर निर्णय ले। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और सचिदानंद डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने उक्त निर्देश सरकार को दिए।
21 जून तक चार धाम यात्रा की नई एसओपी के शपथपत्र दाखिल करें
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 जून की तिथि नियत की है। कोर्ट ने इस दिन (23 जून को) मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अतिरिक्त पर्यटन सचिव को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। कोर्ट ने साफ कहा कि चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर सरकार नीतिगत निर्णय ले। यात्रियों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का इंतजाम करे ताकि चार धाम में आने वाले सभी श्रद्धालु स्वस्थ रहें। कोविड नियमों का पालन कराना सरकार की जिम्मेदारी है। इसलिए अंतिम समय पर निर्णय लेने के बजाय सरकार समय से इस संबंध में निर्णय ले और सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रखे।
कुंभ का दिया उदाहरण- कहा-अंतिम समय पर निर्णय लेने से झेलने पड़ते हैं दुष्परिणाम
कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अंतिम समय पर निर्णय लेने से हमेशा दुष्परिणाम झेलने पड़ते हैं। कुंभ में भी अंतिम समय पर अधिसूचना जारी करने से व्यवस्थाओं के अनुपालन में भारी दिक्कतें आईं थी।
पर्यटन सचिव को लगाई फटकार, कहा-कुंभ मेले की तरह नहीं होनी चाहिए यात्रा
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर को फटकार लगाते हुए कहा कि चारधाम यात्रा कुंभ मेले की तरह नहीं होनी चाहिए। कुंभ मेले में सरकार ने मेले के शुरू होने से ठीक एक दिन पहले बिना पूरी तैयारियों के एसओपी जारी की थी, जिसकी वजह से कोरोना को फैलने का मौका मिल गया। सरकार की अव्यवस्थाओं के कारण प्रदेश की बदनामी होती है। इन्हीं अव्यवस्थाओं के कारण प्रदेश में कोरोना का ग्राफ बढ़ा है।
पर्यटन सचिव के शपथपत्र से कोर्ट संतुष्ट नहीं
बुधवार को हाईकोर्ट ने प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं और चार धाम यात्रा को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर कोर्ट में पेश हुए। चार धाम यात्रा के संबंध में उनकी ओर से पेश किए गए शपथपत्र से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने सिर्फ यह बताया है कि 22 जून तक चार धाम यात्रा पर सरकार ने रोक लगा रखी है और उसके बाद चरणबद्ध तरीके से चार धाम यात्रा शुरू होगी या नहीं यह अभी तय नहीं किया है।
पैदल मार्ग रोज सैनिटाइज करें, कितने पुलिस तैनात करेंगे
सुनवाई के दौरान पर्यटन सचिव ने कोर्ट को बताया कि सरकार लॉकडाउन में 22 जून तक चारधाम यात्रा शुरू नहीं कर रही है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से इसे शुरू कर सकती है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि अभी वहां पर मेडिकल और अन्य व्यवस्थाएं क्या हैं। वहां पर रह रहे स्थानीय लोगों और व्यवसायियों का टीकाकरण हुआ या नहीं।
कोर्ट ने यह भी जानकारी देने के लिए कहा कि चार धाम यात्रा की तैयारियों के निरीक्षण के दौरान क्या क्या खामियां पाईं गईं और चार धाम यात्रा के लिए कितने पुलिस जवानों को तैनात किया जाएगा। कोर्ट ने चार धाम यात्रा के पैदल मार्ग को रोजाना सैनिटाइज करने पर विचार करने के लिए भी कहा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि 2020 में चार धाम में तीन लाख 10 हजार 568 श्रद्धालु दर्शन के लिए गए थे लेकिन इस वर्ष कोविड की दूसरी लहर काफी भयावह है। ऐसे में सरकार को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का ध्यान रखने की जरूरत है।