रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ मंदिर समेत सदर बाजार, गायत्री नगर, लिली चौक, गुढियारी के मंदिरों में भी पूर्णिमा स्नान कराया गया। स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिन के लिए बीमार हो गए। इधर, पंडितों ने उनको 15 दिनों तक उपचार देने के लिए मंदिरों के पट बंद कर आराम करने के लिए शयन कक्ष में रखा है। इस दौरान भक्त भगवान जगन्नाथ का दर्शन नहीं कर पाएंगे।
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पुरानी बस्ती स्थित जगन्नाथ मंदिर के महंत रामसुंदरदास ने बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ, बड़े भैय्या बलदाऊ और बहन सुभद्रा के श्रीविग्रह को गर्भगृह से बाहर निकालकर प्रांगण में रखा गया है। वहीं, भक्तों ने अपने हाथों से भगवान को स्नान कराया। बता दें कि पुरानी बस्ती ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ मंदिर में यह रस्म 400 साल से लगातार निभाई जा रही है। उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण की वजह से मंदिर के कपाट पहले से ही बंद चल रहे है।
काढ़ा पीने की रस्म निभाई जाएगी
बीमार भगवान जगन्नाथ को पुजारियों द्वारा अब काढ़ा पीने की रस्म निभाई जाएगी। इसके बाद 15 दिन भगवान जगन्नाथ विश्राम काल के बाद 11 जुलाई को भगवान नेत्र खोलेंगे। इस दिन नेत्रोत्सव मनाया जाएगा। फिर अगले दिन 12 जुलाई को भगवान जगन्नाथ, बलदेव, सुभद्रा को रथ पर विराजित करने की परंपरा निभाएंगे।
इस बार रथयात्रा को लेकर संशय बरकार
कोरोना महामारी के कारण प्रशासन द्वारा राजधानी के सभी धार्मिक स्थलों में भक्तों के लिए प्रवेश के लिए प्रतिबंधित किया है। अभी मंदिरों में सिर्फ पुजारी पूजा-पाठ किया जा रहा है। इधर, 12 जुलाई को रथयात्रा है। ऐसे में रथयात्रा का उत्सव राजधानी में खासा माहौल दिखाया देता है, लेकिन अभी तक सरकार और प्रशासन ने रथयात्रा को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
इन सबको को देखते हुए मंदिर समिति इस संबंध में जल्द ही बैठक आयोजित रथयात्रा निकलने की अनुमति के लिए जिला प्रशासन को आवेदन दिया जाएगा, ताकि रथयात्रा की तैयारी की जा सके। बता दें कि पिछले वर्ष ज्यादातर मंदिर समिति ने परिसर में रथ को घुमाया गया। इस दौरान दर्शन के लिए मंदिर आने वाले भक्तों को प्रसादी वितरण किया गया।