गरियाबंद। जंगली जानवरों के अवैध शिकार के मामले में हमेशा सुर्खियों में रहने वाला पांडुका वन परिक्षेत्र एक बार फिर चर्चा में है। इस बार परिक्षेत्र के वन ग्राम तोरेंगा में हिरण का शिकार हुआ है और हिरण के हत्यारों ने उसकी हत्या पश्चात् हिरण के उपयोगी अवशेष निकालकर जो अनुपयोगी अवशेष थे उसे छोड़कर भाग खड़े हुए।
वन विभाग के अमले ने हत्यारों को पकड़ने डॉग स्कवाड की मदद भी ली पर खोजी डॉग भी विभाग की कोई खास मदद नहीं कर सका। अब विभाग अपने स्तर पर और खबरियों के सहारे इस मामले की तफ्तीश में जुटा हुआ है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या वन विभाग के हाथ बड़े शिकारियों के गिरेबां तक पहुंच पाता है या नहीं, यह मामले के पूरे खुलासे के बाद ही पता चल सकेगा। यहां पर हम आपको बता दें कि पांडुका वन परिक्षेत्र में काफी संख्या में हिरण जंगल में विचरण करते देखे जाते हैं और यह क्षेत्र काफी वर्षों से जंगली जानवरों के शिकारियों के लिए काफी सुरक्षित जंगल माना जाता है। यहां पर आये दिन वन्य प्राणियों के शिकार होने के मामले सामने आते रहते हैं।
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बताया जा रहा है कि यह मामला 23 जून की रात का है। शिकारियों ने पांडुका वन परिक्षेत्र अंतर्गत जंगल में हिरण का शिकार किया और ग्राम तोरेंगा से कुछ दूरी पर सुने जगह पर शिकारियों ने हिरण को काटा और जो मांस या अवशेष उपयोगी थे उसे निकालने के बाद अनुपयोगी अवशेष को छोड़कर भाग खड़े हुए। दूसरे दिन जब ग्रामीणों ने इसे देखा तो इसकी सूचना वन अमले को दिया। खबर मिलते ही विभाग में हड़कंप मच गया और विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच मामले की विवेचना प्रारंभ कर दिया।
सूत्र बताते हैं कि मौके वारदात स्थल पर बड़े वाहन (चारपहिया) के टायर के निशान दिख रहे थे। इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि हिरण के हत्यारे बाहर से आए और शिकार कर चले गए। मामले को देखते हुए वन अधिकारियों ने अचानकमार से डॉग स्कवाड बुलाया और मौके पर उस डॉग को सुंघाकर छोड़ा गया तो वह खोजी डॉग तोरेंगा में संचालित एक ढाबा में जा घुसा। उसके पश्चात् वन विभाग ने वहां पर तलाशी लिया पर अधिकारियों के हाथ कुछ नहीं लगा। विभाग ने हिरण के जो अवशेष बचे थे उसका पोस्टमार्टम व फोरेंसिक जांच की कार्यवाही की है।