रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गांवों में निर्मित गौठानों में मल्टीयुटिलिटी सेंटर के संचालन के लिए शेड का निर्माण कराए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि इससे महिला स्व-सहायता समूहों एवं ग्रामीणों को रोजगार व्यवसाय की गतिविधियों को संचालित करने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने प्रथम चरण में राज्य के 3 हजार गौठानों में वर्क शेड का निर्माण डीएमएफ की राशि से कराए जाने को कहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यकतानुसार जिलों को राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा संचालित आयमूलक गतिविधियों की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास रेणु जी पिल्ले, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ, सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास प्रसन्ना आर, सचिव जल संसाधन अविनाश चंपावत, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी सहित वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर विकासखण्ड में चार आयमूलक गतिविधियों को चिन्हित कर उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह आयमूलक गतिविधियां स्थानीय स्तर पर बहुतायत रूप से उत्पादित होने वाले कृषि एवं लघु वनोपज को ध्यान में रखकर चयनित की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि वनांचल के गौठानों में मल्टीयुटिलिटी सेंटर में लघु वनोपज के प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वनांचल के उन गौठानों में जहां इमली का उत्पादन अधिक होता है, वहां इमली से कैंडी एवं अन्य उत्पाद तैयार करने की गतिविधि को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसी तरह बांस उत्पादन वाले इलाकों में ट्री-गार्ड, बांस टोकनी एवं अन्य उत्पाद को तैयार करने के लिए लोगों को प्रशिक्षण देकर इसके उत्पादन को बढ़ावा देना उपयुक्त होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ऐसे इलाके जहां आम की पैदावार अधिक होती है, उन इलाके के गौठानों में आम से अमचूर एवं अन्य उत्पाद तैयार करने से लोगों को रोजगार मिलेगा और उनकी आय बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जिन इलाकों में कोदो, कुटकी, सुगंधित धान, अरहर, तिलहन, अलसी आदि की खेती प्रमुखता से होती है, वहां गौठानों में इसके मिलिंग, प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग की यूनिट का संचालन लाभप्रद होगा। बैठक में गौठानों में उत्पादित होने वाले सामग्री की मार्केटिंग की व्यवस्था सी-मार्ट के माध्यम से किए जाने के संबंध में भी चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने सी-मार्ट के संचालन के लिए भी उपयुक्त भवन का भी चिन्हांकन एवं आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने गौठानों में हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर भी अधिकारियों को विस्तृत निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गर्मी के दिनों में जिन इलाकों में किसान धान की खेती करते है, उन्हें मक्का की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे गौठानों में आने वाले पशुओं के लिए हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। सभी गौठानों में चारागाह विकसित करने के भी निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों के चारागाह, वन भूमि से घास और मक्का की खेती करने वाले किसानों से मक्का के तोड़ाई के बाद शेष अवशेष को पशुओं को चारे के रूप में उपलब्ध कराने की कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गौठानों में हरे चारे का उत्पादन करने वाले महिला समूहों को पर्याप्त आमदनी हो, इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
बैठक में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि राज्य में अब तक 10,057 गौठान स्वीकृति किए गए है, जिसमें से 5820 गौठान सक्रिय है और वहां महिला स्व-सहायता समूह एवं ग्रामीणों द्वारा आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही है। गांवों में गौठानों के निर्माण से लगभग 60 हजार एकड़ सरकारी भूमि सुरक्षित हुई है। लगभग 85 हजार महिलाएं गौठानों में रोजगार की गतिविधियों से जुड़कर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनी है। कृषि उत्पादन आयुक्त ने बताया कि गौठानों में 1750 शेड का निर्माण पशुओं के विश्राम के लिए कराया गया है। 532 गौठानों में चरवाहों के लिए पृथक से कक्ष बनाया गया है। 110 गौठानों में बायोगैस का उत्पादन हो रहा है। पशुओं के लिए कुट्टी चारा की व्यवस्था के लिए 2000 चारा कटिंग मशीनें स्थापित की गई है। 3219 गौठानों में चारागाह के लिए 36 हजार एकड़ भूमि आरक्षित है। जिसमें मनरेगा से चारागाह विकास किया जा रहा है।