नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को परेशान कर दिया है। इस कारण सार्स-कोव-2 को ले जाने के लिए अजनबियों को संदेह की नजर से देखा जा रहा है। कई देश यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर रहे हैं कि वे किसी भी नए कोरोना रोगी या वाहक को अपने यहां प्रवेश की अनुमति न दें। भारत के भीतर भी कुछ राज्यों ने प्रवेश के लिए एक निगेटिव आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट या टीकाकरण का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया है।
वैक्सीन पासपोर्ट का चलन बढ़ा
विश्व स्तर पर कोविड के मामले कम होने के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यातायात में वृद्धि हुई है और अगले कुछ महीनों में इसके और बढ़ने की उम्मीद है। टीकाकरण की तेज गति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रियों की आवाजाही पर लगी हुई रोक को कम करने में भी मदद की है। यहीं से वैक्सीन पासपोर्ट चलन में की शुरुआत होती है।
जानें वैक्सीन पासपोर्ट क्या है?
वैक्सीन पासपोर्ट या इम्युनिटी पासपोर्ट एक डाक्यूमेंट प्रमाण है। जिससे पता चलता है कि शख्स ने कोविड -19 के खिलाफ टीका लगाया है। जो लोग फिर से यात्रा शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए वैक्सीन पासपोर्ट तेजी से एक आवश्यकता बनता जा रहा है।
कौन चाहता है वैक्सीन पासपोर्ट?
इस साल मार्च महीने में चीन ने अपना डिजिटल वैक्सीन पासपोर्ट जारी किया, जिसे एक ऐप के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है। इससे अधिकारी क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड को स्कैन कर किसी व्यक्ति के टीकाकरण की स्थिति को सत्यापित कर सकते हैं।