रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा राज्य में खरीफ फसलों की सुरक्षा हेतु आज एक जुलाई को पशुओं के रोका-छेका के प्रदेशव्यापी अभियान का वर्चुअल शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर उन्होंने दुर्ग जिले के रिशामा ग्राम के गौठान से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि रोका-छेका हमारी पुरानी पंरपरा है। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष संचालित रोका-छेका अभियान का बड़ा ही उत्साहजनक परिणाम रहा है। इस साल भी यह अभियान पुनः चलाया जा रहा है। उन्होंने इस अभियन को सफल बनाने के लिए ग्रामीणों एवं किसानों से सहयोग की अपील की। रोका-छेका अभियान के शुभारंभ अवसर पर दुर्ग जिले के ग्राम रिशामा में उद्यानिकी विभाग द्वारा एक हजार फलदार पौधों का वितरण ग्रामीणों को किया गया तथा समस्त जिले में 20 ग्रामों के 629 हितग्राहियों को कुल 10,693 फलदार पौधों का वितरित किए गए।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की मौजूदगी में गौठानों में कृषकों एवं स्व सहायता समूहों को सब्जी, फल, मसाले आदि के पौधे, सब्जी मिनीकिट एवं फलदार, वानिकी पौधे जैसे कि आम, अमरूद, मुनगा, निम्बू, कटहल, जामुन इत्यादि के पौधों का वितरण किया गया।
कार्यक्रम के प्रथम दिवस राज्य के समस्त जिलों में उद्यानिकी विभाग की ओर से लगभग 1,34,200 फलदार पौधों का वितरण मनरेगा योजना अंतर्गत निशुल्क किया गया। राज्य की लगभग 3 हजार बड़ियों में पोषण बाड़ी विकास योजना अंतर्गत 37 हजार फलदार पौधे वितरित किए गए।
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उद्यानिकी विभाग के संचालक माथेश्वरन वी ने अभियान के शुभारम्भ के अवसर पर कहा की फसलों की बुवाई के बाद उसकी देखभाल और सुरक्षा के लिए रोका-छेका का अभियान महत्वपूर्ण साबित हो रहा है, जिससे फसल और पशुधन दोनों सुरक्षित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि उद्यानिकी विभाग द्वारा पोषण बाड़ी विकास एवं फलदार पौधों का वितरण एवं रोका-छेका अभियान को सफल बनाने का संकल्प दिलाया जा रहा है। ग्रामीणों एवं किसानों को पशुओं को खुले में चराई के लिए न छोड़ने, पशुओं को अपने घरों, बाडियों और गौठानों में रखने और उनके चारे-पानी का प्रबंध करने की अपील की।
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