छत्तीसगढ़ में मानसून ने दस्तक तो दे दी है, लेकिन आवश्यकता के मुताबिक बरसात नहीं हो रही है, जिसे लेकर किसानों के माथे पर बल पड़ने लगे हैं। हालांकि उम्मीद अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है, क्योंकि सावन का पूरा महीना शेष है। फसल के लिहाज से बात की जाए तो खरीफ फसलों का समय आ चुका है, ऐसे में फसलों की सुरक्षा अहम हो जाती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज से प्रदेश में रोका-छेका अभियान की शुरुआत कर दी है। ताकि पशुओं से फसलों को बचाया जा सके।
रायपुर। भूपेश बघेल ने आज यहाँ अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में खरीफ फसल को खुले पशुओं द्वारा चराई से बचने के लिए रोका-छेका अभियान का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविंद्र चैबे, लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्रकुमार, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ एम.गीता, कृषि विभाग के विशेष सचिव डॉ एस.भारतीदासन, संचालक यशवंत कुमार उपस्थित थे।
क्या है रोका-छेका अभियान
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रोका-छेका योजना की शुरूआत की है। इस योजना के तहत गांवों में खरीफ फसलों की मवेशियों से सुरक्षा हो पाएगी, साथ ही खुले में घूमने वाले पशुओं पर रोकथाम लगाई जाएगी। रोका-छेका छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है। इसके जरिए संकल्प लिया जाता है कि खरीफ फसलों की खेती के दौरान सभी लोग अपने मवेशियों को बाड़े और गौठान में ही रखेंगे।
बता दें कि राज्य सरकार द्वारा लगातार किसानों को दलहनी-तिलहनी, सब्जी, फल की खेती समेत फसल उत्पादकता के लए प्रोत्साहित कर रही है। अगर राज्य में बारहमासी खेती को बढ़ावा देना है, तो पशुओं से फसलों की सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रोका-छेका योजना चलाई जा रही है, जिसमें ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिलेगा। इस योजना की जानकारी ग्रामीणों तक पहुंचाने के लिए खास कार्यक्रम संचालित किए गए हैं।