रायपुर पुलिस की गिरफ्त में आए जामताड़ा के साइबर ठग गिरोह के मास्टरमाइंड सतीश दास के एक खास साथी की बंगाल में तलाश की जा रही है। सतीश दास ने पूछताछ में उस साथी का नाम पुलिस को बताया था। पुलिस की टीम ने जामताड़ा से लगे बंगाल के सीमावर्ती इलाके में छिपे इस शातिर ठग को खोजने के लिए मुखबिर लगा रखे हैं। उसके पकड़े जाने से ठगी के कई और राज खुल सकते हैं, क्योंकि ठगे गए करोड़ों रुपये का हिसाब-किताब इसी शातिर के जिम्मे में था। इसके साथ गिरोह से जुड़े पांच अन्य बदमाश भी पुलिस के निशाने पर हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि केवाईसी अपडेट करने का झांसा देकर ठग गिरोह ने रिटायर्ड इंजीनियर पारसनाथ पाठक के खाते से 20 लाख रुपये उड़ा लिए थे। जांच के दौरान ठगी में जामताड़ा गिरोह के हाथ होने का पता चलने पर पुलिस टीम ने धनबाद, जामताड़ा में घेराबंदी कर मास्टर माइंड सतीश दास समेत कुंदन दास और श्याम दास को दबोचकर रायपुर लेकर आई थी। तीनों फिलहाल जेल में बंद हैं।
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सतीश दास ने पूछताछ में अपने एक अन्य खास साथी की जानकारी दी थी। फिलहाल पुलिस अफसर उसके नाम-पता के बारे में जानकारी इसलिए देने से बच रहे हैं कि नाम सार्वजनिक होने पर वह कहीं और फरार हो सकता है। फिलहाल उसके जामताड़ा से लगे पश्चिम बंगाल के एक गांव में छिपे होने का पता चला है।
प्रिंस की पतासाजी में जुटी टीम
करोड़ों की रकम को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर ही मनी लांड्रिंग की तर्ज पर करोड़ों के काले धन को सफेद कर गिरोह से जुड़े डगनियां निवासी सुदीप देवांगन, तुषार जैन और गुढ़यारी के गौरव बलानी और आशीष झा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीम गिरोह के सरगना धनबाद निवासी प्रिंस की तलाश कर रही है।
गिरफ्तार आरोपितों के कब्जे से भारी मात्रा में मोबाइल, लैपटॉप, आइपैड, सिम कार्ड, स्मार्ट टीवी, फिलिप कार्ड बाक्स समेत नकदी 3.48 लाख रुपये बरामद किया गया था। प्रिंस के नेटवर्क छत्तीसगढ़ के अलावा मप्र, उप्र, झारखंड, गुजरात, राजस्थान समेत अन्य कई राज्यों में जुड़े निकले हैं।