कोरोना की वजह से बीते डेढ़ साल से यात्री बसों के पहिए सही मायने में थमे हुए हैं। बस संचालकों ने यात्री सेवाओं को शुरू करने का प्रयास जरूर किया, लेकिन परिस्थितियों के सामने वे बेबस हो गए। वर्तमान हालात भी उनको साथ नहीं दे रहा है, जिसकी वजह से उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही है। इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ यातायात संघ ने रायपुर कलेक्टर को सरकार के नाम अपना मांग पत्र सौंपा है। जिसमें उन्होंने 40 फीसदी तक यात्री किराया में इजाफा किए जाने की मांग रखी है। मांग पूरी नहीं होने पर 13 जुलाई से अनिश्चितकाल के लिए बसों को बंद करने और दूसरे दिन 14 जुलाई को खारून में जल समाधि लिए जाने की बात कही है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को रायपुर कलेक्टर से मुलाकात की। सभी ने जिला प्रशासन से मांग की है कि बसों का किराया बढ़ाए जाने को लेकर सरकार का ध्यान इस ओर करें। ज्ञापन लिखा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा लगातार डीजल के दामों में की जाने वाली बढ़ोतरी की वजह से बस संचालन करना अब मुश्किल हो रहा है। राज्य के 1 लाख 8 हजार बस संचालकों का व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हो गया है।
कोई भी फैसला नहीं नहीं किया गया
ज्ञापन में कहा गया है कि अब वह भूखे मरने को मजबूर हो चुके हैं। ज्ञापन में मांग की गई है कि केंद्र सरकार द्वारा लगातार डीजल के दाम बढ़ाने से और कोरोना, लॉकडाउन की वजह से पिछले 16 महीने से बसों का व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। बस संचालकों ने बताया है कि मध्य प्रदेश राज्य में साल 2018 में 10 फीसदी किराया बढ़ाया गया था। उस समय छत्तीसगढ़ में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी। मई महीने में साल 2021 में मध्य प्रदेश में 25 प्रतिशत किराया और बढ़ाया जा चुका है लेकिन छत्तीसगढ़ में यात्री किराया बढ़ाने को लेकर कोई भी फैसला नहीं नहीं किया गया है। छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ ने मांग की है कि प्रदेश में 40 प्रतिशत यात्री किराया बढ़ाया जाए ताकि बसों के संचालन के लिए खर्च निकालना मुमकिन हो सके।
इस कानून को भी खत्म करने की मांग
यातायात महासंघ के अनवर अली ने बताया कि राज्य सरकार ने साल 2009 में एक ऐसा कानून भी लागू किया था जिसमें यदि बसें खड़ी हुई हैं उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा तो भी उसका टैक्स हमें सरकार को देना पड़ता है। ऐसे में हम चाहते हैं कि इस कानून को खत्म किया जाए क्योंकि इस वजह से बड़ा नुकसान हमें झेलना पड़ता है।