नई दिल्ली – लंबे समय तक एक दूसरे के बेहद करीब रहे देश के प्रतिष्ठित गांधी-नेहरू और बच्चन परिवार में आई खटास को लेकर यूं तो कई प्रकार के दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन हाल ही में प्रकाशित एक पुस्तक में खुलासा किया गया है कि एक छोटी सी घटना ने उनके रिश्तों के ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का काम किया। इस घटना के बाद दोनों परिवारों के दरवाजे एक-दूसरे के लिए बंद हो गए।वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद संतोष भारतीय की नयी किताब ‘वी पी सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी और मैं’ में दावा किया गया है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पढ़ाई के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अमिताभ बच्चन से फीस का इंतजाम करने को कहा था, लेकिन उन्होंने इसमें आनाकानी की।
छोटी सी बात पर हुई थी अनबन
लेखक के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी अपने पुत्र राहुल की पढ़ाई को लेकर बहुत चिंतित थीं, जो उन दिनों लंदन में पढ़ाई कर रहे थे और उन्होंने अपनी इस चिंता से अमिताभ बच्चन को अवगत कराया। किताब के मुताबिक़, सोनिया गांधी को सुनने के बाद अमिताभ बच्चन ने कहा, ‘पैसे तो ललित सूरी और सतीश शर्मा ने गड़बड़ कर दिए… कुछ है ही नहीं लेकिन मैं कुछ करूंगा।’
सोनिया गांधी ने लौटा दी थी मदद
सूरी और शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और उन्हें राजीव गांधी का बेहद करीबी माना जाता था। पुस्तक में दावा किया गया है कि जब राजीव गांधी जीवित थे तब सूरी, शर्मा और बच्चन ने मिलकर चावल का व्यापार शुरु किया था। भारतीय अपनी किताब में लिखते हैं, ‘यहां से बासमती चावल जाता था वहां पर वह ‘जादू’ से परमल में बदल जाता था। चूंकि भारत सरकार ने इसकी अनुमति दी थी तो स्वाभाविक था कि कुछ और लोग भी इसमें भागीदार थे लेकिन उनके नाम कभी सामने नहीं आए।
लेखक ने पुस्तक में आगे दावा किया कि अमिताभ बच्चन ने सोनिया गांधी की चिंता के मद्देनजर दो दिनों बाद उनके पास एक हजार डॉलर (वर्तमान में लगभग 74,500 रुपये) का चेक भिजवाया था, लेकिन उन्होंने इसे वापस लौटा दिया था। पुस्तक के मुताबिक, ‘सोनिया गांधी इस घटना को कभी भूल नहीं पाईं और उन्होंने इसे अपना अपमान मानकर अमिताभ बच्चन से पारिवारिक रिश्ते तोड़ लिए थे ‘
लेखक ने दावा किया कि सोनिया गांधी को शायद वह घटना याद आ गई, जब अमिताभ बच्चन ने संजय गांधी से 20 लाख रुपये मांगे थे लेकिन उनके पास उन्हें देने को इतने पैसे नहीं थे। वह पुस्तक में दावा करते हैं कि इसी घटना के बाद से अमिताभ बच्चन ने संजय गांधी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। उनकी मां (तेजी बच्चन) अवश्य कभी-कभी इंदिराजी से मिलने जाती रहीं। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि तेजी बच्चन और इंदिरा गांधी के बीच बेहद अच्छे संबंध थे और इसी वजह से दोनों परिवार एक-दूसरे के बेहद करीब आते गए।
विदेशी मेहमानों के सामने नाचते थे बच्चन
पुस्तक में लिखा गया है कि अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी एक दूसरे के बेहद करीबी थे और जब भी कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष या महत्वपूर्ण मेहमान भारत आता था तो वह बच्चन को अवश्य बुलाते थे। भारतीय के मुताबिक़ राजीव विदेशी मेहमानों के सामने अमिताभ का परिचय सांसद के नाते कम और अभिनेता के नाते ज़्यादा कराते थे। लेखक ने दावा किया है कि जब भी रूसी राष्ट्रपति जैसे कोई महत्वपूर्ण अतिथि आते थे तो राजीव अमिताभ बच्चन से कहते कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है गाने पर नाच करके दिखाओ। भारतीय ने किताब में कहा है कि बच्चन को जैसा भी लगता रहा हो, पर उन्हें यह करना पड़ता था।
किताब के मुताबिक दोनों के रिश्तों में दरार आनी तब शुरू हुई, जब विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने। एक घटना का उल्लेख करते हुए पुस्तक में दावा किया गया है कि यह तल्खी इतनी बढ़ गई कि एक बार तो राजीव गांधी ने उन्हें सांप तक कह दिया था। भारतीय के शब्दों में राजीव तब विपक्ष के नेता थे और अमिताभ उनसे मिलने आए थे। जब अमिताभ चले गए तो राजीव ने कहा ‘ही इज अ स्नेक’ , मतलब वह सांप है।
पुस्तक में दावा किया गया है कि इस घटना के वक्त तब एक पत्रकार के रूप में वहाँ कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला भी मौजूद थे। पुस्तक में 1987 के उस महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम का भी उल्लेख है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विश्वनाथ प्रताप सिंह को वित्त मंत्री के पद से हटा दिया था और रक्षा मंत्रालय का जिम्मा सौंपा था। लेखक ने दावा किया कि इस फैसले के पीछे अमिताभ बच्चन थे जबकि राजीव गांधी ने इसके लिए पाकिस्तान से जंग का बहाना बनाया था। उनके मुताबिक उस समय जंग के हालात भी नहीं थे।