छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित लेमरू हाथी रिजर्व पर राज्य सरकार यू टर्न की भूमिका बना रही है। सरगुजा क्षेत्र के विधायकों से एक प्रस्ताव लेकर हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल 1995 वर्ग किलोमीटर की जगह केवल 450 वर्ग किमी तक सीमित करने की तैयारी है। यानी करीब 80 फीसदी एरिया कम होगा। वन विभाग ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक से बाकायदा प्रस्ताव मंगा लिया है। अब इसे अगली कैबिनेट में रखने की तैयारी है।
दरअसल अगस्त 2019 में राज्य मंत्रिपरिषद ने 1995.48 वर्ग किमी क्षेत्र में लेमरू हाथी रिजर्व बनाने का प्रस्ताव किया था। फैसला हो गया, लेकिन तकनीकी वजहों से अधिसूचना जारी नहीं हुई। इस बीच हसदेव नदी के जल ग्रहण क्षेत्र और जैव विविधता बचाने के नाम पर इसके विस्तार का प्रस्ताव बना। तय हुआ कि इसे 3 हजार 827 वर्ग किमी कर दिया जाए। इस हाथी रिजर्व में जशपुर, बलरामपुर, सूरजपुर और कोरबा जिले का बड़ा हिस्सा आ रहा था।
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वन मंत्री बोले, कुछ विधायकों को आपत्ति थी
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, अभी उनके पास विभाग से इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। 2019 की एक कैबिनेट में इसे 1995 वर्ग किमी करने का प्रस्ताव आ चुका है। सरगुजा क्षेत्र के विधायकों को इस पर आपत्ति है। उनका क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। उनका जरूर कहना है कि इसे 450 वर्ग किमी क्षेत्र में ही सीमित रखा जाए। जब प्रस्ताव आएगा तो देखा जाएगा कि उसमें क्या किया जा सकता है।
सिंहदेव बोले, ऐसा तो कहा ही नहीं
इस बावत पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, भाजपा शासनकाल में हाथी रिजर्व का पहली बार जब प्रस्ताव आया था तो उन्होंने 452 वर्ग किमी में ही रखने को जरूर कहा था। कांग्रेस सरकार ने 1995 वर्ग किमी करने का प्रस्ताव पारित किया। उस कैबिनेट में मैंने यह जरूर कहा था कि हाथी रिजर्व बनाने में लेमरू से दूर-दराज के राजस्व गांव प्रभावित न हों इसकी कोशिश की जाए। इसका क्षेत्रफल घटाकर 450 वर्ग किमी करने को तो कहा ही नहीं।
क्या है यह लेमरु हाथी रिजर्व
लेमरू हाथी रिजर्व हाथियों का सुरक्षित कॉरीडोर होगा। 2011 में 1143 किमी में बनाने की अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन उसे कभी लागू नहीं किया गया। कांग्रेस सरकार ने 2019 में इसे 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बनाने का प्रस्ताव पारित किया। इसमें जशपुर का बादलखोल अभयारण्य, बलरामपुर का तमोरपिंगला, सूरजपुर का सेमरसोत और कोरबा जिले का लेमरू वन क्षेत्र पड़ेगा। इसके लिए अलग से अधिकारी-कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। हाथियों के लिए इस रिजर्व फाेरेस्ट में चारे- पानी की व्यवस्था होगी। जिससे हाथी यही रहेंगे बाहर नहीं जाएंगे। परिकल्पना है कि इस व्यवस्था से जनहानि और ग्रामीणों की संपत्ति को कम नुकसान पहुंचेगा।