पेट्रोल डीजल और रसेई गैस की दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ किसानों ने किया प्रदर्शन
खाद कंपनियों द्वारा किसानों और सरकार के साथ किया जा रहा है धोखा
संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर 08 जुलाई को पेट्रोल डीजल और रसेई गैस की दामों में वृध्दि के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किये जाने की कड़ी में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सदस्यों द्वारा कोविड महामहारी के संदर्भ में जारी दिशा निर्देशो का पालन करते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं.सुन्दरलाल शर्मा चैक राजिम में विरोध प्रदर्शन कर नायब तहसीलदार राजिम को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा,
प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन में कहा है कि साल 2009 से 2014 के दौर में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम उभार पर था उस दौर में 106.85 डाॅलर प्रति बैरल (159.5 लीटर) तक थी। अप्रैल 2014 में तब उपभेक्ताओं को देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 72.26 रु. प्रति लीटर और डीजल 55.49रु. प्रति लीटर प्राप्त होती थी। तब भी जनता के सामने बढ़ती महंगाई का एक बड़ा संकट था। लेकिन आज जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 63 डाॅलर प्रति बैरल (159.5 लीटर) है फिर भी पेट्रोल 90.56रु.प्रति लीटर और 80.87रु. प्रति लीटर की अत्यधिक दाम पर उपभेक्ताओं को मिल रही है। यहां हम केवल देश की राजधानी दिल्ली की बात कर रहे हैं कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100रु. प्रति लीटर से भी अधिक हो चुकी है। इसी प्रकार 2014 में सब्सिडी वाली रसोई गैस की दाम 414रु.प्रति सिलेण्डर (14.2 कि.ग्रा.) थी जो आज 815रु. की हो चुकी है।
लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान आपने बड़े ही लच्छेदार शब्दों में भाषण देते हुए महंगाई से आम जनता को निजात दिलाने का वायदा किया था। भारतीय जनता पार्टी की ’’ बहुत हो गई महंगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार, अच्छे दिन आने वाले हैं, बहुत हो गई जनता पर पेट्रोल डीजल की मार अबकी बार मोदी सरकार ’’ जैसे लोक लुभावन नारे थे। जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम कम हो चुकी है तब जनता को सस्ते दरों पर ईंधन मिलनी चाहिए लेकिन आपकी सरकार कुल दाम में से आधे से अधिक करीब 53 प्रतिशत राशि टैक्स के रुप में ले लेती है जो आम मेहनतकश व मध्यमवर्गीय जनता पर महंगाई का अतिरिक्त बोझ है और किसानों का उत्पादन लागत बढ़ती जा रही है लेकिन आपके द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य भी किसानों को प्राप्त नहीं हो रही है।
रासायनिक खाद कंपनियां जिन्हें आपके द्वारा सब्सिडी दी जा रही है उनके द्वारा मनमाने दामों में छोटे विक्रेताओं को खाद बेची जा रही है उनके साथ में जिंक आदि का बोझ अतिरिक्त है जिसे किसान लदान कहते हैं। सहकारी सोसायटियों में छैः महीने की उधारी पर किसानों को कम दाम में खाद मिल रही है जबकि खाद विक्रेताओं द्वारा नगद राशि जमा कर खाद खरीदी की जाती है और किसानों द्वारा नगद खरीदी की जाती है तब भी किसनों को महंगे दामों में खाद मिलना कंपनी द्वारा सीधा सीधा किसानों और सरकार के साथ धोखाधड़ी है।
किसानों ने मांग किया है कि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ी हुई दामों को कम कर वर्तमान दाम से सीधा आधा किया जाये। किसानों को डीजल पर सब्सिडी प्रदान किया जाये। किसानों की सभी उपजों के लिए स्वमीनाथन आयोग की सिफारिशो के अनुरुप लागत से डेढ़ गुणा अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर उस पर खरीदी की गारंटी कानून बनाया जाये। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पूरे साल भर फसलों की खरीदी हो इसके लिए कृषि उपज मंडी समितियों को मजबूत व व्यवस्थित किया जाये, खाद कंपनियों द्वारा किसानों की लूट बंद की जाये और दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आन्दोलन का समर्थन करते हुए उनकी मांगों को पूरा किया जाये।
विरोध प्रदर्शन में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू, सचिव तेजराम विद्रोही, उत्तम कुमार, रेखूराम, जहुर राम, फत्ते लाल, ताराचंद साहू, रामजी साहू, आसन साहू, यादराम, बसंत साहू, प्रभु साहू, रामजी साहू, गजेश्वर साहू नरेश कुमार घोघरे, होरीलाल आदि उपस्थित रहे।