विगत डेढ़ साल से देशभर के स्कूलों में ताला लगा हुआ है। इस बीच बच्चों की शिक्षा प्रभावित ना हो, इसलिए ऑनलाइन शिक्षा को अनुमति प्रदान की गई। इस पर भी निजी स्कूलों ने फीस वसूली में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि स्थिति यह थी कि फीस जमा नहीं करने पर बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट तक नहीं किए जाने का दबाव बनया गया था। इस पर इस सत्र के लिए शासन की ओर से निर्णय लिया गया है।
बालाघाट। स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि प्रदेश के गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों या पालकों को शिक्षण-शुल्क के अतिरिक्त अन्य कोई फीस आगामी आदेश तक नही जमा करनी होगी। इसके साथ ही कोई भी अशासकीय विद्यालय शैक्षणिक सत्र 2021-22 में आगामी आदेश तक कोई फीस वृद्धि नहीं कर सकेगा।
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परमार ने बताया कि प्रदेश के समस्त सीबीएसई, आईसीएसई, म.प्र. माध्यमिक शिक्षा मण्डल और अन्य बोर्ड से संबद्ध गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों पर यह निर्देश समान रूप से लागू होंगे। शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए यदि किन्ही अशासकीय विद्यालयों द्वारा फीस वृद्धि की गई है तो ऐसी वृद्धि के द्वारा एकत्र की गई फीस को संबंधित छात्रों की आगामी देय फीस से समायोजित की जायेगी।
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परमार ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण की विगत वर्ष की परिस्थितियों से विद्यार्थी और पालक प्रभावित हुए हैं। वर्तमान में भी उसी तरह की परिस्थितियां बनी हुई है। इसलिए विगत वर्ष में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित 4 नवंबर 2020 के निर्णय के अनुक्रम में इस वर्ष भी शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए यह निर्देश जारी किए गए हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों के कलेक्टर्स, सभी संभागीय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए है। शैक्षणिक सत्र 2020-21 के संबंध में एक मार्च 2021 को जारी विभागीय परिपत्र द्वारा जारी निर्देश की कण्डिका 2 की उप-कण्डिका 4 को आगामी आदेश तक निष्प्रभावी किया है। इसके साथ ही अशासकीय विद्यालयों के द्वारा फीस वृद्धि के संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा 29 जून 2021 को जारी निर्देश को आगामी आदेश तक निष्प्रभावी किया गया है।