20 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इस दिन के बाद चर्तुमास शुरू हो रहा है और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन और जनेऊ अगले चार महीनों तक वर्जित रहेंगे। पंचागों के जानकार बताते हैं कि आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी मनती है।
आचार्य पीके युग के बताते हैं कि देवशयनी एकादशी से ही चतुर्मास की गणना होती है तो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवोत्थान एकादशी तक मानी जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसान इन दिनों में विष्णु भगवान पाताल लोक में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन देवाधिदेव महादेव के हाथों में होता है। इस वर्ष चतुर्मास 20 जुलाई से लेकर 14 नवंबर तक रहेगा। 14 नवंबर के बाद से ही मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
पंडित राकेश झा शास्त्री बताते हैं कि विष्णु भगवान के क्षीरसागर में विश्राम करने की वजह से चतुर्मास में मांगलिक कार्य नहीं होते। वाराणसी पंचांग के अनुसार चतुर्मास के बाद फिर इस साल 19 नवंबर से 13 दिसंबर तक कुल 12 लग्न है। बनारसी पंचाग के अनुसार जुलाई महीने में अब 12, 15, 16 जुलाई को लग्न है। इसके बाद सीधे नवंबर महीने में 19, 20, 21, 26, 28, 29 को विवाह के मुहूर्त हैं। दिसंबर महीने में 1, 2, 5, 7, 12 और 13 को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं, जबकि मिथिला पंचाग के अनुसार अब जुलाई महीने में विवाह के मुहूर्त नहीं हैं। नवंबर में 21, 22, 29 और दिसंबर में 1, 2, 5, 6, 8, 9, 13 दिसंबर को विवाह के लिए उपयुक्त मुहूर्त हैं।