छत्तीसगढ़ के लिए 13 जुलाई बेहद अहम दिन है। कोरोना काल के चलते बीते डेढ़ साल से सरकार के समक्ष कोई भी बात इतने पुरजोर तरीके से नहीं रखी गई। ज्यादातर वक्त लॉक डाउन और बंदिशों में गुजरा है, जिसके चलते कमोबेश किसी को अपनी मांग रखने का अवसर ही नहीं मिल पाया।
कोरोना संक्रमण काल का दौर अब भी जारी है, राहत सिर्फ इतनी ही है कि फिलहाल लहर जैसी परेशानियों से मुक्ति मिली हुई है, लेकिन सावधानियां अब भी लाजिमी है अन्यथा फिर से मुश्किल के उन्हीं हालातों में पहुंचते वक्त नहीं लगेगा।
रायपुर। सवाल यह है कि 13 जुलाई छत्तीसगढ़ के लिए खास क्यों है? तो वह, इसलिए क्योंकि छत्तीसगढ़ यातायात संघ ने संचालित बसों में 40 फीसदी किराया बढ़ाए जाने की मांग रखी है। शासन के समक्ष रखे अपने इस प्रस्ताव में संघ की मांग है कि बस मालिक बीते डेढ़ साल से मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं। यदि किराया नहीं बढ़ाया जाता है, तो बस मालिकों ने अनिश्चितकाल के लिए यात्री बसों के संचालन को अवरूद्ध किए जाने की बात कही है।
संघ के सदस्यों ने यह भी कहा है कि कल उनका परिवार सड़क पर उतरेगा और प्रदेशव्यापी हड़ताल की शुरुआत करेगा। संघ ने 40 फीसदी यात्री किराया बढ़ाए जाने सहित टैक्स माफी की भी मांग रखी है। उनका कहना है कि हालात की वजह से सभी बस रोड़ पर नहीं चल रही हैं, ऐसे में खड़ी बसों का पूरा टैक्स माफ किया जाए।
ऐसे में यात्रियों पर बढ़ेगा भार
कोरोना काल की मार से हर वर्ग परेशान है। यात्री बस संचालक किराया बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि बीते डेढ़ साल में उन्हें वास्तव में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। पर यदि 40 फीसदी किराया बढ़ाया जाता है, तो यात्रियों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। उदाहरण के तौर पर जिस गंतव्य का किराया 60 रुपए था, यदि 40 फीसदी किराया बढ़ाया जाता है, तो सीधे तौर पर 24 रुपए का अतिरिक्त बोझ यात्रियों पर पड़ेगा। और किराया 84 रुपए देना पड़ जाएगा। सरकार को इस बात की भी चिंता है।