जयपुर के आमेर फोर्ट (Amer Fort) में वॉचटावर पर आकाशीय बिजली (Thunder Lightning) गिरने से रविवार को 12 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 10 से ज्यादा लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं. इस हादसे के बाद सरकारी सिस्टम सवालों के घेरे में है. खबर के मुताबिक एक्सपर्ट्स पिछले कई सालों में आमेर में लाइटनिंग कंडक्टर (Lightning Conductor) लगाने की मांग करते रहे हैं. लेकिन राजस्थान सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया.
अगर सरकार (Gehlot Govt) लाइटनिंग कंडक्टर लगाने पर समय रहते ध्यान दे देती तो शायद 12 लोगों की जान बचाई जा सकती थी. हैरान करने वाली बात ये है कि सीएम अशोक गहलोत लाइटनिंग एक्सेप्टर न होने की लापरवाही पर बात करने की बजाय अपनी सरकार की तारीखों के पुल बांध रहे हैं. वह बता रहे हैं कि किस तरह से मुस्तैदी दिखाते हुए सभी को वॉचटावर से रेस्क्यू किया गया.
आमेर में नहीं लगे लाइटनिंग एक्सेप्टर
आमेर विकास प्राधिकरण की लापरवाही का जिक्र सीएम अशोक गहलोत ने अब तक नहीं किया है. दरअसल सीएम अशोक गललोत खुद आमेर विकास प्राधिकारण के अध्यक्ष हैं शायद इसीलिए लापरवाही पर बात करने से बच रहे हैं. अगर वह प्राधिकरण की लापरवाही को उजागर करेंगे तो सवाल उन पर भी उठने लाजमी हैं. इसीलिए रेक्यू ऑपरेशन का जिक्र कर मुआवजे का मरहम लगाकर सीएम इस बड़ी लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं.
राजस्थान में भी ज्यादा गिरती है आकाशीय बिजली
बता दें कि राजस्थान देशभर में उन 10 राज्यों में से एक है , जहां पर सबसे ज्यादा आकाशीय बिजली गिरती है. बताया जा रहा है कि आमेर किले के 500 मीटर के दायरे में पिछले 8 सालों में तीसरी बार बिजली गिरने की घटना हुई है. इस घटना में 12 लोगों की मौत हो गई है. पहाड़ी इलाका होने की वजह से आमेर में बिजली गिरने की संभावना ज्यादा होती है. साल 2013 में भी यहां बिजली गिरने से 2 टूरिस्ट समेत 1 तीन लोगों की मौत हो गई थी.