ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक या फिर दोनों डोज लेने के बाद भी संक्रमित होने वाले 80 फीसदी लोग डेल्टा वैरिएंट के शिकार हुए थे। आईसीएमआर की एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। टीकाकरण के बाद भी संक्रमित होने वाले लोगों को लेकर आईसीएमआर की यह पहली स्टडी है। हालांकि संस्था का यह भी कहना है कि भले ही वैक्सीन के बाद भी लोग संक्रमित हो गए, लेकिन इनमें अस्पताल जाने और मौत का शिकार होने वाले लोगों की संख्या बेहद कम थी। ऐसे मामलों में से महज 9.8 फीसदी को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी तथा मृत्यु दर भी 0.4 फीसदी रही। टीकाकरण के बाद संक्रमण होने को ‘ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’ कहा जाता है।
टीकाकरण के बाद नहीं होना पड़ रहा अस्पताल में भर्ती
भारत में ‘ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’ यानी टीकाकरण के बाद हुए संक्रमण के मामलों की पड़ताल का यह सबसे बड़ा और पहला राष्ट्रव्यापी अध्ययन है। इसमें जो विश्लेषण हुआ है, उसके मुताबिक ऐसे मामलों में चूंकि व्यक्ति का टीकाकरण हो चुका होता है इसलिए अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत कम पड़ रही है और संक्रमण से मौत के मामले भी कम आ रहे हैं। अध्ययन में कहा गया, ‘कोविड-19 की और भयावह लहरों को आने से रोकने के लिए टीकाकरण अभियान को बढ़ाना और लोगों का जल्द से जल्द टीकाकरण करना सबसे महत्वपूर्ण रणनीति होगी। इससे हेल्थ सिस्टम पर पड़ा रहा बोझ भी कम होगा।
केवल 0.4 फीसदी मामलों में हुई मृत्यु
आईसीएमआर ने कोविड रोधी टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन की एक या दोनों खुराक ले चुके ऐसे 677 लोगों के नमूने एकत्रित किए जो कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। ये नमूने 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिए गए। अध्ययन में पता चला कि ज्यादातर ऐसे मामलों (86.09 फीसदी) में संक्रमण की वजह कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप था और महज 9.8 फीसदी मामलों में अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी। केवल 0.4 फीसदी मामलों में मरीज की मृत्यु हुई। इसमें बताया गया कि भारत के ज्यादातर हिस्सों में ऐसे मामलों की वजह डेल्टा स्वरूप है लेकिन उत्तरी क्षेत्र में कोरोना वायरस का अल्फा स्वरूप हावी है।
कई राज्यों से स्टडी के लिए जुटाए गए थे नमूने
अध्ययन के लिए नमूने महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, उत्तराखंड, कर्नाटक, मणिपुर, असम, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, पुडुचेरी, नयी दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और झारखंड से लिए गए। जिन लोगों के नमूने अध्ययन की खातिर लिए गए उनमें से 604 मरीजों को कोविशील्ड टीका लगा था, 71 को कोवैक्सीन और दो को साइनोफार्म टीका लगा था।