देश में दूसरी लहर की यातनाओं को भूलकर लोग एक बार फिर मनमर्जी पर उतारु हैं और लापरवाही का चरम नजर आने लगा है। भारत में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में निश्चित ही कमी आई है, पर जिस तरह का रवैया लोगों ने अख्तियार करना शुरु कर दिया है, वह तीसरी लहर को न्यौता देने जैसा है। कुल मिलाकर देश के लोग खुद होकर तीसरी लहर को बुला रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार, डब्लूएचओ और नीति आयोग ने पहले ही चेतावनी दे दी है कि कोरोना की तीसरी लहर पहले के मुकाबले ज्यादा घातक होगी।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पाल सहित डब्लूएचओ चीफ ने कहा है कि इस बार कोरोना ने वापसी की, तो और ज्यादा मुश्किलें आएंगी। कोरोना के बदलते वैरिएंट की वजह से पहले ही होश उड़े हुए हैं, हर्ड इम्यूनिटी वैसी विकसित नहीं हो पाई है, जिसकी आवश्यकता है। ऐसे में बरती जाने वाली लापरवाही कितनी भयावह होगी, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है।
मॉस्क, सेनेटाइजर शो-पीस
पहली लहर के साथ ही कोरोना से बचाव के लिए नियम सुझाए गए हैं। एक तरफ जहां भीड़ से बचना है, तो मॉस्क लगाना और सेनेटाइजेशन को बेहद जरूरी बताया गया है। वहीं अब वैक्सीनेशन एक अनिवार्य पहलु है, पर ज्यादातर लोग केवल कानूनी प्रक्रिया से बचने मात्र के लिए मॉस्क को लटकाकर घुमते रहते हैं, जबकि मुंह और नाक पूरी तरह से ढंका होना चाहिए।
वैक्सीन से बच सकती है जिंदगी
देश के प्रत्येक व्यक्ति से बार-बार अपील की जा रही है कि वैक्सीनेशन कराना अनिवार्य है। इससे ना केवल कोरोना से लड़ने की क्षमता विकसित होगी, बल्कि वायरस दूसरों में स्थानांतरित नहीं होगा और ऐसा करने मात्र से बहुत बड़ी संख्या में लोगों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है।