पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कुछ हिस्सों से इस साल फरवरी में सैनिकों की वापसी के बाद से चीन का रवैया बदल गया है। वह बाकी के हिस्सों से अपने सैनिकों को हटाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। इसको लेकर दोनों देशों के बीच संवाद का सिलसिला भी पहले के मुकाबले शिथिल पड़ गया है।
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की वार्ता के 11 दिन बाद भी सैन्य स्तर की बातचीत को लेकर अनिश्चितता
भारत के आग्रह के बावजूद चीन की तरफ से आगामी सैन्य वार्ता को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की जा रही। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की 12 दिन पहले यानी 14 जुलाई को मास्को में हुई मुलाकात का भी असर होता नहीं दिख रहा है। एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग ई के बीच चली एक घंटे की बातचीत में दोनों पक्षों ने कहा था कि एलएसी विवाद को लंबा खींचा जाना आपसी रिश्तों के हित में नहीं है, इसके बावजूद विवाद सुलझाने के लिए आगामी वार्ता को लेकर अनिश्चतता बनी हुई है।
चीन ने मई, 2020 में एलएसी का उल्लंघन किया था। तनाव बढ़ने के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक व सैन्य स्तर की वार्ता शुरू हुई थी। 25 जून, 2021 को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच बात हुई थी और यह तय किया गया था कि जल्द ही वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की अगली बैठक होगी। आम तौर पर कूटनीतिक स्तर की वार्ता के बाद 10 दिनों के भीतर ही सैन्य अधिकारियों की बैठक होती थी। लेकिन इस बार एक महीना बीत जाने के बावजूद ऐसा नहीं हुआ है।
इस बीच दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक भी हो चुकी है। उक्त बैठक में चीन के विदेश मंत्री की तरफ से जल्द ही अगले दौर की बातचीत करने का आश्वासन भी दिया गया। सैन्य स्तर की 11 दौर की हो चुकी है वार्ता अभी तक सैन्य स्तर की 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग लेक इलाके में दोनों देशों की सेनाओं को पीछे हटने में इससे मदद भी मिली। लेकिन गोगरा, देपसांग और हॉट स्पि्रंग के इलाके से चीन अपनी सेना को पीछे हटाने को तैयार नहीं हो रहा.