छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद उस सुरसा की तरह ही है, जो कभी भी अपना मुंह फाड़कर खड़ी हो जाती है। प्रदेश की जनता को उनसे सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षाबल के जवान अपनी जान की परवाह ना करते हुए डटे रहते हैं, लेकिन हर बार धोखे से किए जाने वाले हमलों की वजह से देश के इन वीरों को कई बार वीरगति भी प्राप्त होती है। लेकिन उनका जज्बा कभी कमजोर नहीं पड़ता।
इन वीर जवानों के साथ ही नक्सली मोर्चे पर छत्तीसगढ़ की बेटियां भी हौसले की प्रतीक बनकर कंधे से कंधा मिलाकर माओवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने में पीछे नहीं हैं। छत्तीसगढ़ की बेटियां ”मर्दानी” बनकर माओवादियों के इरादों पर पानी फेरने में कामयाब हैं।
सुकमा। घने जंगलों में घुटनेभर तक पानी, नदी और नालों में उफान, जंगली—जानवरों के हमले से बेखबर, लेकिन सीने में सुरक्षा का जज्बा लिए हाथों में वजनी हथियारों को लेकर चलना सहज नहीं होता। पर वर्दी पहनी छत्तीसगढ़ की इन बेटियों के हौसले को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
ये बेटियां ऐसे दुश्मन के खिलाफ मोर्चे पर हैं, जिनकी कोई पहचान नहीं है। यह भी नहीं पता कि गांव से गुजरते हुए जिस घर में रूककर पानी पी रही हैं, वहां भोले—भाले ग्रामीण निवासरत हैं या फिर धोखे से हमला करने वाले नक्सली।
इन सबसे परे माओवाद के खिलाफ जंग में हौसले की तस्वीर जो सामने आई है, वह इस बात को बताने के लिए पर्याप्त है कि इन बेटियों की साहस के आगे दुश्मन के नापाक इरादे कामयाब नहीं हो सकते।