एक बच्ची को सुरक्षित नहीं रख पाने के अफसोस के साथ चार चार और बच्चों के लिए जद्दोजहद करती माँ के दर्द को समझकर जिंदगी ना मिलेगी दोबारा संस्था ने बच्चे व माँ को सुरक्षित रखने पहल किया है।
बेटी से दुराचार के मामले में सजा भुगत रहे पिता के जेल जाने और अकेली माँ के लिए 5 बच्चों का भरण पोषण कठिन होने के बाद दर दर भटकने को मजबूर हुई माँ को काम दिलाने और उनके 4 बच्चों को सरकारी आश्रय केंद्रों बाल आश्रम व् बालिका केंद्रों तक पहुँचाने में शहर के समाज सेवी संस्था ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा की प्रमुख सुषमा तिवारी ने बहुत बड़ी भूमिका अदा कर न सिर्फ समाज सेवी होने का परिचय दिया बल्कि समाज में मानवता की मिसाल भी पेश की।
सुषमा तिवारी ने बताया कि जैसे ही मुझे इस बात कि जानकारी हुवी कि अपने खुद के बेटी के साथ बलात्कार करने की सजा भुगत रहे बाप के बच्चे कैसे दर दर भटक रहे हैं, मैंने तुरन्त उन बच्चों की माँ से मिलकर उसे आत्म निर्भर बनने के लिए प्रेरित किया साथ ही उसे सुरक्षित इलाके में घर किराए पर दिलवाया परन्तु माँ के काम में जाते ही बच्चे घूमघूम कर लोगों से भीख मांगने लगे जिससे घर मॉलिक उन्हें बाहर खदेड़ने लगते साथ ही उन बढ़ती बेटियों की सुरक्षा की भी फ़िक्र होने लगी क्यों कि अपने खुद के पिता से जब वह बेटी को नही बचा पाई तो बाकी बेटियों के लिए चिंता करना स्वाभाविक है । तब् मैंने उनकी माँ से बात करके बेटियों को बॉलिका गृह व् बेटे को सरकारी आश्रय केंद्र बाल आश्रम में पहुचाने की ठानी। शुरू में तो मुझे लगा कि मेरे कहने मात्र से उन्हें वहां दाखिला मिल जाएगा पर कई दिनों के अथक प्रयास से कई दफ्तरों के चक्कर लगाकर इतनी लंबी व् जटिल शासकीय नियमो की प्रक्रिया से गुजरते हुवे मैंने आखिरकार उन्हें उचित स्थान में पहुँचा कर ही दम लिया।
संस्था के सदस्य व् मिडिया कर्मी संतोष साहू ने भी इस नेक कार्य में महती भूमिका अदा की। इस काम को अंजाम तक पहुचाने में संस्था के संरक्षक अजय शर्मा, सहींत समाजसेवी मोहन चोपड़ा ,व् सेवाभावी राजेंद्र निगम का विशेष मार्गदर्शन रहा।